नई दिल्ली: असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा पर 2000 मेगावाट की सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना (Subansiri Lower Hydro Power project) में बड़े भूस्खलन के कुछ दिनों बाद पर्यावरण कार्यकर्ताओं के बीच चिंता बढ़ गई है. वहीं असम से सांसद अजीत भुइयां (mp Ajeet Bhuyan) ने इसी मसले पर पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. उन्होंने पीएम को मंगलवार को लिखे पत्र में जवाबदेही तय करने के लिए व्यक्तिगत हस्तक्षेप करने की अपील की है. साथ ही भविष्य की त्रासदियों को रोकने के लिए त्वरित उपाय करने पर जोर दिया है.
भुइयां ने अपने पत्र में कहा है कि मिट्टी की नाजुकता के कारण बांध स्थल पर भूस्खलन एक समस्या रही है. उन्होंने कहा कि 27 अक्टूबर को हुए भूस्खलन ने उस समय काम कर रही एकमात्र डायवर्जन सुरंग को अवरुद्ध कर दिया था जिसका परिणाम काफी भयावह था. सांसद भुइयां ने कहा कि असम के विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों से आए विशेषज्ञों की सिफारिशों को ध्यान में रखे बिना सुबनसिरी बांध परियोजना को बनाया गया है.
उन्होंने 27 अक्टूबर को हुए भूस्खलन का जिक्र करते हुए कहा कि यह घटना सिर्फ एक चेतावनी है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. इस सिलसिले में ईटीवी भारत से बात करते हुए सांसद भुइयां ने कहा कि अरुणाचल की पहाड़ी मिट्टी नाजुक है. दूसरे, बांध स्थल भूकंप के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है. इसके अलावा बिना किसी सार्वजनिक स्पष्टीकरण के बांध का आधार 09 मीटर कम कर दिया गया जो आने वाले दिनों में बड़ी आपदा के लिए ये पर्याप्त संकेत हैं. भुइयां ने कहा कि सुबनसिरी नदी की निचली धारा सूख गई और लगभग 16 घंटे की लंबी अवधि तक ऐसी ही बनी रही. उन्होंने कहा, यह अवधि लंबे समय तक नदी के संपूर्ण जलीय जीवन को खत्म करने के लिए पर्याप्त थी. उन्होंने अपनी चिंताओं को लेकर पीएम मोदी को पत्र भेजा है.