नई दिल्ली : सीमा विवाद को असम और मिजोरम सरकार बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए तैयार हो गई हैं. इसके लिए दोनों राज्यों ने संयुक्त बयान जारी किया गया है.
असम-मिजोरम ने संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि हम अंतर-राज्यीय सीमा के आस-पास व्याप्त तनाव को दूर करने और चर्चा के माध्यम से विवादों के स्थाई समाधान खोजने के लिए तैयार हैं. बयान में कहा गया है दोनों राज्य गृह मंत्रालय और राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा की गई पहल को आगे बढ़ाने के लिए सहमत हैं.
इससे पहले रविवार को मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा था कि अगर मिजोरम पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी दोनों राज्यों के बीच शांति स्थापित करने में मददगार साबित होती है तो वह इसके लिए तैयार हैं. साथ ही सरमा ने वार्ता के जरिए एक समाधान निकालने का समर्थन किया था.
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असम पुलिस ने सांसद वनलालवेना पर 26 जुलाई को असम-मिजोरम सीमा पर हुई हिंसा के सिलसिले में मामला दर्ज किया था.
बता दें कि गत 28 जुलाई को असम के कछार जिले से सटी सीमा पर दो गुटों में झड़प हुई थी. झड़प के दौरान असम पुलिस के 6 कर्मियों और एक नागरिक की मौत हो गई थी. साथ ही एक एसपी सहित 85 से अधिक अन्य लोग जख्मी हुए थे.
अंग्रेजों के जमाने में ही पड़ गई थी विवाद की नींव
इस विवाद को खड़ा करने वाले अंग्रेज ही थे. आजादी के बाद सिर्फ मिजोरम ही नहीं, नगालैंड, अरुणाचल और मेघालय भी असम का हिस्सा रहे. असम से कब अलग हुए, आगे बताएंगे. असम के इतने बड़े इलाके में कई ट्राइब्स के लोग रहते थे. मिजो, नगा, खासी, जयंतिया, गारो जैसे कई ट्राइब्स. इन ट्राइब्स का अपना इलाका भी था, जिसे हिल्स कहते थे. जैसे नगा हिल्स, जयंतिया हिल्स. मिजो लोगों का रिहायशी इलाका लुशाई हिल्स था, जो असम के कछार जिले में आता था. जब ट्राइबल अस्मिता की बात हुई तब अंग्रेजों ने 1875 में उनके इलाकों का सीमांकन किया. लुशाई पहाड़ियों और कछार मैदानों के बीच की सीमा खींची गई.