नई दिल्ली : आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को असाढ़ी पूर्णिमा का पावन पर्व मनाया जाता है. इस दिन व्रत रहकर भगवान सत्यनारायण की कथा सुनने के साथ-साथ, नदियों में स्नान और दान खास महत्व है. इसके साथ ही आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन साथ में चंद्रमा पूजा से कुंडली का चंद्र दोष खत्म हो जाता है और रात में लक्ष्मी माता की पूजा करने से धन में अपार वृद्धि होती है.
अषाढ़ी पूर्णिमा की तिथि
हमारे हिंदू पंचांग व कैलेंडर के अनुसार साल 2023 में आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 02 जुलाई दिन रविवार की रात को 08 बजकर 21 मिनट पर प्रारंभ हो जा रही है. इसके बाद इस तिथि का समापन अगले दिन सोमवार को शाम 05 बजकर 08 मिनट पर होने जा रहा है. ऐसी स्थिति में उदयातिथि की मान्यता के आधार पर आषाढ़ पूर्णिमा व्रत और स्नान-दान 3 जुलाई दिन सोमवार को ही किया जा सकेगा.
भद्रा का प्रभाव
ऐसा कहा जा रहा है कि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आषाढ़ पूर्णिमा के व्रत रखने के साथ-साथ स्नान और दान के समय भद्रा का भी ध्यान रखना जरूरी होता है. इस बार आषाढ़ पूर्णिमा के दिन भद्रा लगने जा रही है, जो पाताल लोक से संबंधित कही जा रही है. हालांकि इस भद्राकाल का समय केवल 1 घंटा 20 मिनट बताया जा रहा है. 3 जुलाई 2023 को आषाढ़ पूर्णिमा वाले दिन सुबह में 1 घंटा 20 मिनट के लिए जो भद्रा लग रही है. उस भद्रा का समय सुबह 05 बजकर 27 मिनट से सुबह 06 बजकर 47 मिनट तक ही होगा . कुछ लोगों का यह भी कहना है कि पाताल और स्वर्ग लोक की भद्रा का दुष्प्रभाव मृत्यु लोक यानि पृथ्वी लोक पर नहीं माना जाएगा.