नई दिल्ली : डेटा ट्रांसफर करने के बेहतर और अधिक सुरक्षित साधनों के लिए क्वांटम तकनीक काफी कारगर साबित हो सकती है. ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं है कि भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान भी इस अगली पीढ़ी के संचार क्षेत्र में छलांग लगाने के लिए इसे अपने आधुनिकीकरण प्रयास का हिस्सा बना रहे हैं. मध्य प्रदेश में महू के प्रीमियर मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (एमसीटीई) के सुरक्षित परिसर में स्थापित 'क्वांटम लैब' इस प्रयास का नेतृत्व कर रही है. जहां सेना को अभेद्य सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में काम किया जा रहा है. सेना का मकसद एक ओर संचार नेटवर्क और दूसरी ओर अत्याधुनिक आक्रामक क्षमता हासिल करना है. क्वांटम लैब की स्थापना में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) की भूमिका महत्वपूर्ण रही है.
देश के रक्षा प्रतिष्ठान में एक शीर्ष स्रोत ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि 'पारंपरिक क्रिप्टोग्राफी को क्वांटम सुरक्षित और क्वांटम प्रतिरोधी क्रिप्टोग्राफिक विधियों के साथ बदलने की तत्काल आवश्यकता है. क्वांटम गोपनीयता राष्ट्रीय हित है. सैन्य सूचना प्रणाली जो वर्तमान में गणितीय कम्प्यूटेशनल जटिलता पर निर्भर हार्डवेयर आधारित क्रिप्टो प्लेटफॉर्म पर आधारित है, वह क्वांटम हमलों के लिए कमजोर है.'
सूत्र ने कहा, 'पारंपरिक क्रिप्टोग्राफिक सिस्टम मिनटों में क्वांटम कंप्यूटरों के साथ पूरी तरह या आंशिक रूप से क्रैक हो जाएंगे. इस तरह की सैन्य क्षमता किसी भी देश की संवेदनशील प्रणालियों को खतरे में डालने के लिए एक बड़ा हथियार होगी, जिससे राष्ट्रीय संप्रभुता को कई तरह से खतरा होगा.' भारतीय सेना सेंसर, संचार प्लेटफॉर्म और सूचना प्रणाली सहित विकसित युद्धक्षेत्र में C4I2SR घटकों को एकीकृत करने के लिए क्वांटम तकनीक को भविष्य के रूप में देख रही है. C4I2SR का मतलब कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशंस, कंप्यूटर, इंटेलिजेंस, इंफॉर्मेशन, सर्विलांस और टोही है.