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क्वांटम तकनीक से सैन्य संचार सुरक्षा को अभेद्य बनाने की तैयारी में भारतीय सेना

भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान रक्षात्मक और आक्रामक सैन्य क्षमताओं के लिए क्वांटम तकनीक (Quantum technology) को विकसित करने, आत्मसात करने और शामिल करने के लिए पूरी ताकत से आगे बढ़ रहा है. वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

Army eyes quantum leap to secure
सैन्य संचार सुरक्षा

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Published : Aug 5, 2022, 5:14 PM IST

नई दिल्ली : डेटा ट्रांसफर करने के बेहतर और अधिक सुरक्षित साधनों के लिए क्वांटम तकनीक काफी कारगर साबित हो सकती है. ऐसे में कोई आश्चर्य नहीं है कि भारतीय सैन्य प्रतिष्ठान भी इस अगली पीढ़ी के संचार क्षेत्र में छलांग लगाने के लिए इसे अपने आधुनिकीकरण प्रयास का हिस्सा बना रहे हैं. मध्य प्रदेश में महू के प्रीमियर मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (एमसीटीई) के सुरक्षित परिसर में स्थापित 'क्वांटम लैब' इस प्रयास का नेतृत्व कर रही है. जहां सेना को अभेद्य सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में काम किया जा रहा है. सेना का मकसद एक ओर संचार नेटवर्क और दूसरी ओर अत्याधुनिक आक्रामक क्षमता हासिल करना है. क्वांटम लैब की स्थापना में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) की भूमिका महत्वपूर्ण रही है.

देश के रक्षा प्रतिष्ठान में एक शीर्ष स्रोत ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि 'पारंपरिक क्रिप्टोग्राफी को क्वांटम सुरक्षित और क्वांटम प्रतिरोधी क्रिप्टोग्राफिक विधियों के साथ बदलने की तत्काल आवश्यकता है. क्वांटम गोपनीयता राष्ट्रीय हित है. सैन्य सूचना प्रणाली जो वर्तमान में गणितीय कम्प्यूटेशनल जटिलता पर निर्भर हार्डवेयर आधारित क्रिप्टो प्लेटफॉर्म पर आधारित है, वह क्वांटम हमलों के लिए कमजोर है.'

सूत्र ने कहा, 'पारंपरिक क्रिप्टोग्राफिक सिस्टम मिनटों में क्वांटम कंप्यूटरों के साथ पूरी तरह या आंशिक रूप से क्रैक हो जाएंगे. इस तरह की सैन्य क्षमता किसी भी देश की संवेदनशील प्रणालियों को खतरे में डालने के लिए एक बड़ा हथियार होगी, जिससे राष्ट्रीय संप्रभुता को कई तरह से खतरा होगा.' भारतीय सेना सेंसर, संचार प्लेटफॉर्म और सूचना प्रणाली सहित विकसित युद्धक्षेत्र में C4I2SR घटकों को एकीकृत करने के लिए क्वांटम तकनीक को भविष्य के रूप में देख रही है. C4I2SR का मतलब कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशंस, कंप्यूटर, इंटेलिजेंस, इंफॉर्मेशन, सर्विलांस और टोही है.

क्वांटम प्रौद्योगिकी की ताकत के बारे में सूत्र ने कहा, 'इससे कम समय में महत्वपूर्ण जानकारी ज्यादा सुरक्षा के साथ विभिन्न स्तरों पर कमांडरों तक पहुंचेगी. क्यूकेडी सिस्टम की फील्डिंग से क्यूकेडी के साथ पारंपरिक बैकहॉल गोपनीयता को बदलने की उम्मीद है. इससे लागत तो बढ़ेगी लेकिन क्षमता में काफी सुधार होगा.' QKD या क्वांटम तकनीक को प्रभावी ढंग से बैकबोन नेटवर्क को सुरक्षित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

परियोजना एनएफएस के माध्यम से बड़े पैमाने पर ओएफसी बुनियादी ढांचा पहले ही बनाया जा चुका है. एनएफएस, जिसका संपूर्ण रक्षा नेटवर्क पूरे भारत में फैला हुआ है. भारतीय सेना पहले से ही बुनियादी ढांचे के मोर्चे पर क्यूकेडी को अपनाने के लिए तैयार है. भविष्य में जैसे-जैसे संचार प्रणालियां और विकसित होंगी अधिक से अधिक प्रणालियों को एकीकृत करते हुए कोर प्रोसेसिंग को क्वांटम कंप्यूटरों के साथ रक्षा डेटा केंद्रों में बदलने की आवश्यकता होगी.

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