नई दिल्ली : एपीजे अब्दुल कलाम, जिन्हें प्यार से 'मिसाइल मैन' और 'पीपुल्स प्रेसिडेंट' कहा जाता था 2015 में आज ही के दिन 83 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. उस समय वह भारतीय प्रबंधन संस्थान-शिलांग में छात्रों को व्याख्यान दे रहे थे. कलाम के निधन को आज आठ साल हो गये लेकिन आज भी उन्हें उतने ही प्यार और आदर से याद करता है. विज्ञान के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान और पीढ़ी दर पीढ़ी युवाओं को कड़ी मेहनत का रास्ता अपनाने के लिए प्रेरित करने के प्रति उनके अटूट समर्पण के कारण वह अभी भी लाखों दिलों में जीवित हैं.
डॉ. अब्दुल कलाम की विशाल उपलब्धियों ने देश के जनमानस और सामुहिक यादाश्त पर एक अमिट प्रभाव छोड़ा है. उन्होंने अपने जीवन में कई उपलब्धियां हासिल कीं - भारत के राष्ट्रपति, मिसाइन मेन के रूप में रोल मॉडल, विज्ञान के क्षेत्र में आइकन, मृदुभाषी, संगीत प्रेमी, वीणा वादक और भावुक शिक्षक. एक अखबार वितरित करने वाले लड़के से एक प्रख्यात वैज्ञानिक, राष्ट्रपति और सबसे बढ़कर, एक असाधारण इंसान के तौर पर उन्हें हमेशा याद किया जाता रहेगा.
15 अक्टूबर, 1931 को तमिलनाडु में मंदिरों के लिए मशहूर शहर रामेश्वरम में एक नाव मालिक जैनुलाब्दीन और आशियम्मा के घर जन्मे कलाम अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. उन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए लंबी दूरी तय की, और जब वह स्कूल में थे, तब अपने शहर में समाचार पत्र वितरित करते थे, ताकि आर्थिक रूप से गरीब अपने परिवार की मदद कर सकें.
छोटी उम्र से ही, कलाम में हवाई जहाज, रॉकेट और अंतरिक्ष के प्रति गहरा आकर्षण था. उन्होंने अपनी 8वीं कक्षा तक रामेश्वरम प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई की और रामनाथपुरम के श्वार्ट्ज हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाई जारी रखी. बाद में उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से भौतिकी की डिग्री हासिल की और 1954 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. एयरोस्पेस के प्रति अपने जुनून से प्रेरित होकर, उन्होंने मद्रास (अब चेन्नई) में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की.
'भारत के मिसाइल मैन'
1958 में, अब्दुल कलाम एक वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक की भूमिका में DTD&P (एयर), जिसे अब वैमानिकी गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय (DGAQA) के रूप में जाना जाता है, में शामिल होने के लिए दिल्ली गए. उस वर्ष बाद में, वह रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) का हिस्सा बन गए, जहां उन्होंने एक छोटे होवरक्राफ्ट के डिजाइन में योगदान दिया. 1969 में, वह प्रतिनियुक्ति पर एक रॉकेट इंजीनियर के रूप में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में शामिल हुए और यहीं से रॉकेट और मिसाइल प्रौद्योगिकी में उनके शानदार करियर की शुरुआत हुई.
भारत को दिया अग्नि, त्रिशूल, आकाश और नाग
1969 से 1982 तक इसरो में अपने कार्यकाल के दौरान, कलाम ने रॉकेट लॉन्च सिस्टम की नींव स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 1980 में, एसएलवी-3 के परियोजना निदेशक के रूप में, उन्होंने पृथ्वी की कक्षा में रोहिणी उपग्रह की सफल तैनाती हासिल की, जिससे भारत को प्रतिष्ठित अंतरिक्ष क्लब में सदस्यता मिली. उनके समर्पण के कारण चार और मिसाइलों का विकास हुआ- अग्नि, त्रिशूल, आकाश और नाग.
अटल बिहार वाजपेयी के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार
मई 1998 में, जब वह तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहार वाजपेयी के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में कार्यरत थे, भारत ने पोखरण-द्वितीय परमाणु परीक्षण किया. बैलिस्टिक मिसाइलों और प्रक्षेपण प्रौद्योगिकी में कलाम के सबसे महत्वपूर्ण योगदान ने उन्हें 'भारत के मिसाइल मैन' की प्रतिष्ठित उपाधि दिलाई.
जानें क्यों कहा गया 'जनता का राष्ट्रपति'
डॉ. अब्दुल कलाम ने 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया. उनकी उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक विविध पृष्ठभूमि के लोगों, विशेषकर युवाओं के साथ बातचीत करने के लिए देश भर में यात्रा करने का उनका जुनून था. राष्ट्रपति भवन में, वह स्कूली बच्चों के साथ गर्मजोशी से जुड़े और उनके सवालों के जवाब दिया. जिससे उनकी जिज्ञासाओं को दूर करने में उनकी वास्तविक रुचि प्रदर्शित हुई.
विद्यार्थियों से था गहरा लगाव
अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के बाद भी, डॉ. कलाम देश भर में यात्रा करते रहे. उन्होंने स्कूलों का दौरा किया. छात्रों को प्रेरणादायक भाषण दिया. अपनी असाधारण दृष्टि छात्रों और युवाओं के साथ साझा करते रहे. डॉ. कलाम को जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग पसंद करते थे क्योंकि वे विनम्र थे और उनसे बात करना आसान था. लाखों लोग उनकी सादगी, ईमानदारी और जीवन के प्रति उत्साहित दृष्टिकोण से प्रभावित थे. उनके मिलनसार स्वभाव के कारण उन्हें 'जनता के राष्ट्रपति' की उपाधि मिली.