रायपुर: छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को मुद्दा बनाकर बीजेपी 2023 के विधानसभा चुनाव में वापसी की राह तलाश रही है. धर्मांतरण को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में कई बार बयानबाजी हो चुकी है. लेकिन भूपेश सरकार धर्मांतरण को लेकर शुरू से आक्रमक रही है.
प्रदेश के हल्कों में धर्मांतरण का मुद्दा बीजेपी के लिए किसी संजीवनी बुट्टी से कम नहीं है. जानकार मानते हैं कि छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य प्रदेश है. यहां के भोले भाले आदिवासियों का जबरन धर्मांतरण किया जाता है लेकिन यह कितना सच है इसके सबूत ना तो बीजेपी के पास है और ना ही किसी अन्य दल के पास.
वहीं जब राज्यपाल से धर्मांतरण को लेकर सवाल किया गया ताे उन्होंने कहा कि प्रदेश में धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाना है. अगर किसी के साथ जबरन और प्रलोभन से धर्मांतरण कराया जाता है. ऐसी शिकायतें आती है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. समय-समय पर मुझे लोगों की शिकायतें मिली है तो मैंने शासन-प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराया है.
जबरन धर्मांतरण करने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए इस दौरान उन्होंने बस्तर दौरे को लेकर विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि देश की आजादी के लिए कई लोगों ने बलिदान दिया है. लेकिन बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें आज लोग नहीं जानते हैं. आज भी ऐसे लोग गुमनाम हैं उन्हें आगे लाना चाहिए, उनके नाम से पुस्तकों का भी प्रकाशन होना चाहिए, जिससे उनके बारे में बच्चे और आज के लोग जान सके.
वहीं राज्य के कृषि कानून पर अब तक हस्ताक्षर नहीं किए जाने को लेकर जब राज्यपाल से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि राज्य में कृषि कानून का परीक्षण किया जा रहा है. कानूनी सलाह ली जा रही है. केंद्र के कृषि कानून से राज्य के कृषि कानून किस तरह अलग है. यह देखा जा रहा है. इसके लिए कानूनी राय ली जा रही है. प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजा गया है. उसके बाद ही आगे का निर्णय लिया जाएगा.