कोटा. भारत माला प्रोजेक्ट के तहत बन रहे दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बाद बूंदी जिले में प्रवेश कर रहा है. ऐसे में सवाई माधोपुर जिले के रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से बूंदी जिले में स्थित रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व के बीच एक जंगल का एक नेचुरल कोरिडोर बना हुआ है. जिसके जरिए टाइगर और अन्य वन्यजीव मूवमेंट करते हैं. इन्हें बचाने के लिए ही बूंदी जिले के लाखेरी के नजदीक एक एनिमल ओवरपास बनाया जा रहा है. इसका निर्माण करीब 90 फीसदी पूरा हो गया. जिसमें जमीन को खोदकर नीचे से सुरंगनुमा रास्ता बना दिया गया है. जिसके बाद ऊपर से इसे कवर कर दिया गया है और वहां पेड़ पौधे लगाने की योजना है, ताकि इसे वापस जंगल जैसा रूप दिया जा सके. यह एनिमल ओवरपास एशिया का सबसे बड़ा और 3.5 किलोमीटर लंबा है. इस एनिमल ओवरपास के नीचे से 8 लेन का रास्ता गुजर रहा है. वही ऊपर से वन्यजीव गुजर जाएंगे. ऐसे में वन्यजीव भी इस एक्सप्रेस-वे के निकलने से परेशान नहीं होंगे. इन्हें वाइल्डलाइफ ब्रिज भी कहा जाता है. नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सवाईमाधोपुर प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट (पीआईयू) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर मनोज शर्मा का कहना हैं कि यह एशिया का सबसे बड़ा एनिमल ओवरपास है. पीडी शर्मा का कहना हैं कि इस एनिमल ओवर पास के निर्माण के बाद वन्यजीव पूरी तरह से स्वच्छंद विचरण कर सकेंगे. उन्हें हाईवे निकलने से किसी तरह का कोई डिस्टरबेंस नहीं होगा.
इस तरह से किया है निर्माण : निर्माण में जुटे साइट इंजीनियर ने बताया हैं कि इन्हें आर्टिफिशियल टनल कहा जा सकता है. इसके लिए पहले 100 मीटर एरिया की पूरी खुदाई की गई है. कुछ एरिया में रेतनुमा मिट्टी की पहाड़ी का भी था. इसके अलावा चट्टानी पहाड़ी भी थी, जिसे भी काटा गया है. इसके बाद रास्ता बनाने के लिए खुदाई के दोनों छोर पर अबेटमेंट यानि दीवार बनाई गई है. यह सीमेंट कंक्रीट की बनी है. इसके बाद बीच में पियर यानी कि पिलर खड़े किए गए हैं. अबेटमेंट और पियर दोनों के ऊपर कैब डालकर गर्डर डाल दी गई है. इन गर्डर के ऊपर स्लैब बिछाई गई है. निर्माण के लिए 20-20 मीटर की स्लैब डाली गई है. इनके बीच के जॉइंट को एक्सपेंशन से जोड़ा गया है. साथ ही सील भी कर दिया गया है. इस आर्टिफिशियल टनल की पूरी तरह से वॉटरप्रूफिंग की गई है, ताकि बारिश का पानी और ऊपर डाली गई मिट्टी से रिस कर नीचे नहीं आ सके.
वन्यजीव को सुरंग के ऊपर मिलेगा नेचुरल हैबिटेट : पूरे निर्माण का कार्य लार्सन एंड टर्बो कंपनी कर रही है. इस कंपनी का कैंप ऑफिस भी लाखेरी में ही स्थित है. निर्माण साइट पर कंपनी के जनरल मैनेजर अजय राय के नेतृत्व में टीम काम कर रही है. इस आर्टिफिशियल टनल की छत या स्लैब पर 3.5 मीटर मिट्टी बिछाई जा रही है. जिस पर अब पौधे लगाने का काम होगा. इस पूरे 3.5 मीटर के एनिमल ओवर पास में करीब 20,000 से ज्यादा पौधे लगाए जाएंगे. यह सभी पौधे स्थानीय प्रजाति के होंगे. जिससे कि आसपास के एरिया जैसा जंगल का लुक इस एनिमल ओवरपास का ऊपर से आ जाए. दोनों तरफ भी तरह से जंगल से जोड़ दिया जाएगा. साथ ही जानवर भी इसे नेचुरल हैबिटेट समझकर यहां से गुजर जाए.
हवा, प्रकाश और स्पीड का रखा पूरा ध्यान : एनिमल ओवरपास बूंदी जिले के लाखेरी की भावपुरा से शुरू होकर बालापुरा पर खत्म हो रहा है. इसमें 500-500 मीटर के पांच एनिमल ओवर पास जुड़े हुए हैं. जिनके बीच में 50 से 250 मीटर तक की जगह छोड़ी गई. जहां से प्रकाश और हवा इस सुरंग में आ जाएंगी. एनिमल ओवरपास में बिजली से लेकर प्रकाश और अन्य सभी व्यवस्थाएं की गई है. इन आर्टिफिशियल सुरंग में भी वाहन नहीं रुक सकेंगे. इनकी भी सीसीटीवी के जरिए मॉनिटरिंग होगी. इन आर्टिफिशियल सुरंग से या वाइल्डलाइफ ब्रिज के नीचे से गुजर रहे वाहनों की स्पीड भी एक्सप्रेस-वे के वाहनों की स्पीड के बराबर होगी, यानी कि आर्टिफिशियल सुरंग की डिजाइन और निर्माण भी 120 की स्पीड को ध्यान में रखकर किया गया है.