मुंबई:सीबीआई की एक विशेष अदालत ने कथित भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज (Anil Deshmukh bail plea rejected) कर दी. सीबीआई मामले में जांच कर रही है. अदालत ने कहा कि इस तरह के 'सफेदपोश' अपराध देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं और वह बर्खास्त पुलिस अधिकारी और आरोपी से वादामाफ गवाह बने सचिन वाजे के बयान को नजरअंदाज नहीं कर सकती है. अदालत ने कहा कि देशमुख की 'सक्रिय भागीदारी' और 'सार्वजनिक दायित्व के निर्वहन में अनुचित लाभ' प्राप्त करने के प्रयास को देखते हुए उन्हें राहत नहीं दी जानी चाहिए.
देशमुख (71) ने बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा धनशोधन मामले में उनके खिलाफ दर्ज प्रवर्तन निदेशालय के मामले में चार अक्टूबर को जमानत दिये जाने के बाद इस मामले में भी जमानत याचिका दाखिल की थी. अधिवक्ता अनिकेत निकम और इंद्रपाल सिंह के माध्यम से दायर जमानत याचिका में दावा किया गया था कि एनसीपी नेता देशमुख के खिलाफ मामला सीबीआई की 'मनमर्जी' पर टिका है और पूरा मामला पूर्व आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह और सचिन वाजे के बयानों पर आधारित था. जमानत याचिका में कहा गया है कि इस बात के सबूत हैं कि वाजे मुंबई में बार मालिकों से रिश्वत इकट्ठा करने वाला इकलौता व्यक्ति था. याचिका में दावा किया गया था कि वाजे और सिंह ने अपनी खाल बचाने के लिए झूठे बयान दिए.
सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश एसएच ग्वालानी ने देशमुख को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि वाजे और अन्य के बयानों को 'अनदेखा' नहीं किया जा सकता है और उनमें बताए गए तथ्यों को जमानत की सुनवाई के चरण में आसानी से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. देशमुख की चिकित्सकीय स्थिति पर अदालत ने कहा कि उन्हें जेल में पर्याप्त चिकित्सा मिल रही है. न्यायाधीश ने कहा कि देशमुख पर एक गंभीर अपराध का आरोप है, जिसमें एक बड़ी राशि शामिल है, और इस तरह के सफेदपोश अपराध राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं तथा इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए. अदालत ने कहा, एक हत्या आवेश में आकर की जा सकती है, लेकिन आर्थिक अपराध शांतचित्त गणना के साथ किए जाते हैं. जज ने कहा, मेरा विचार है कि इस तरह के गंभीर अपराधों को रोकने के लिए, याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करना उचित नहीं है.