मुंबई : बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का आज मुंबई में निधन हो गया. उन्होंने मुंबई स्थित हिंदुजा अस्पताल में तकरीबन सुबह 7:30 बजे अंतिम सांस ली. बता दें, दिलीप कुमार का असली नाम मुहम्मद युसुफ खान था. उन्हें ट्रेजेडी किंग के नाम से भी जाना जाता हैं. उनका जन्म 11 दिसंबर 1922 को हुआ था. दिलीप कुमार ने 98 वर्ष में अंतिम सांस ली. बता दें, उनका जन्म पेशावर (अब पाकिस्तान मे) उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत में हुआ था. उनका गृहनगर मुंबई, भारत है. उन्होंने महाराष्ट्र के बार्न्स स्कूल देवलाली, नासिक से अपनी पढ़ाई पूरी की.
दिलीप कुमार का परिवार
दिलीप कुमार के पिता लाला गुलाम सरवर (जमींदार और फल व्यापारी) थे. उनकी माता का नाम आयशा बेगम था. भाई- नासिर खान (फिल्म अभिनेता), एहसान खान, असलम खान, नूरी मोहम्मद, अयूब सरवर और बहन- फौजिया खान, सकीना खान, ताज खान, फरीदा खान, सईदा खान, अख्तर है.
दिलीप कुमार का विवाहित जीवन
दिलीप कुमार ने अभिनेत्री सायरा बानो से 1966 में विवाह किया था. विवाह के समय दिलीप कुमार 44 वर्ष और सायरा बानो 22 वर्ष की थीं. 1980 में कुछ समय के लिए आसमां से दूसरी शादी भी की थी.
ट्रेजेडी किंग के शौक
दिलीप कुमार के कोई बच्चे नहीं थे. वह इस्लाम धर्म के थे. उनको खाना पकाना, क्रिकेट खेलने का शौक था. उनकी पसंदीदा अभिनेत्री मीना कुमारी, नलिनी जयवंती थी. उनका पसंदीदा खेल- क्रिकेट था और पसंदीदा रंग- काला था.
दिलीप कुमार का करियर
- दिलीप कुमार को भारतीय सिनेमा के सबसे महान अभिनेताओं में से एक माना जाता था. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1944 में की थी. उन्होंने 1949-1961में सफल फिल्मों में अभिनय किया था.
- वह फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले अभिनेता थे.
- दिलीप कुमार ने सर्वाधिक फिल्मफेयर पुरस्कार जीते.
- उनकी पहली फ़िल्म 'ज्वार भाटा' थी, जो 1944 में आई थी.
- 1949 में बनी फ़िल्म अंदाज़ की सफलता ने उन्हे प्रसिद्धी दिलाई, इस फ़िल्म में उन्होने राज कपूर के साथ काम किया.
- दिदार (1951) देवदास (1955) जैसी फ़िल्मो में दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने के कारण उन्हे ट्रेजिडी किंग कहा गया.
- मुगले-ए-आज़म (1960) में उन्होने मुग़ल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई. यह फ़िल्म पहले श्वेत और श्याम थी और 2004 में रंगीन बनाई गई. उन्होंने 1961 में गंगा जमुना फ़िल्म में काम किया था, जिसमे उनके साथ उनके छोटे भाई नासीर खान ने काम किया था.
- दिलीप कुमार ने विधाता (1982), दुनिया (1984), कर्मा (1986), इज्जतदार (1990) और सौदागर (1991) जैसी फिल्मों में भी काम किया.
- 1981 से बॉक्स ऑफिस पर सफल होने वाली उनकी एकमात्र फिल्में क्रांति, विधाता, कर्म,धर्म अधिकारी, कानून अपना अपना और सौदागर थी.
- 1998 में बनी फ़िल्म किला उनकी आखरी फ़िल्म थी.
ट्रेजेडी किंग का प्रारंभिक जीवन
- दिलीप कुमार का जन्म पेशावर (पाकिस्तान) के किसा ख्वानी बाज़ार में हुआ था उनको मुहम्मद युसुफ ख़ान के रूप में जाना जाता है. उनके 12 भाई-बहन थे. उनके पिता गुलाम सरवर एक फल व्यापारी थे. कुछ साल बाद उनका परिवार महाराष्ट्र मुंबई के देवलाली में बड़े बाग में स्थानांतरित हो गया था.
- 1940 में यूसुफ खान पुणे चले गए थे. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा अंजुमन-ए-इस्लाम हाई स्कूल से की थी , उन्होंने मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज में अपनी शिक्षा अधूरी छोड़ दी थी और कैंटीन व्यवसाय शुरू कर दिया था, बता दें उन्होंने पुणे में आर्मी क्लब में एक सैंडविच स्टॉल भी लगाया था. जिसकी कमाई 5000 रुपये लेकर वह बंबई के लिए रवाना हो गए थे. 1942 में उनको प्रमुख अभिनेत्री देविका रानी ने देखा और बॉलीवुड में उनके प्रवेश में मदद की. बता दें देविका रानी बॉम्बे टॉकीज के संस्थापक हिमांशु राय की पत्नी थी.
- देविका रानी के कहने पर उन्होंने अपना नाम युसुफ से बदलकर दिलीप कर लिया था. देविका रानी ने उन्हें फिल्म- ज्वर भाटा (1944) के लिए मुख्य भूमिका में रखा था. हिंदी-फिल्म उद्योग में एक अभिनेता के रूप में दिलीप कुमार। उनकी पहली फिल्म- ज्वार भाटा (1944) में उनका अभिनय किसी का ध्यान नहीं गया था. उनकी पहली फिल्म ज्वार भाटा, 1944 में रिलीज़ हुई थी, जिसपर किसी का ध्यान नहीं गया था और उनकी अगली 2 फिल्में प्रतिमा (1945), नौकाडुबी (1947) बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रहीं.
- 1947 में उन्होंने फिल्म जुगनू की प्रमुखता से शूटिंग की जो बाक्स ऑफिस पर हिट रही. इसके बाद सफल शहीद (1948) और दिलीप कुमार एक शानदार सितारा बन गए.
व्यक्तिगत जीवन
- दिलीप कुमार की पहली प्यार कामिनी कौशल थी. उनके लव स्टोरी की अफवाहें तक उड़ी थी. कामिनी कौशल और दिलीप कुमार ने कई हिट्स फिल्म की थी जिन्में शहीद (1948), नदिया के पार (1948), शबनम (1949), आरज़ू (1950)शामिल है. 1946 में नीचा नगर फिल्म हिट हुई थी. 1951 में कामिनी कौशल-दिलीप कुमार का अफेयर खत्म हो गया था.
- मधुबाला और दिलीप कुमार पहली बार 'तराना' के सेट पर मिले थे और एक दूसरे से बेइंतहा प्यार कर बैठे थे. उन्होंने तराना (1951) , हिट और संगदिल (1952), अमर (1954) में साथ काम किया था. 1957, मुगल-ए-आज़म में काम करते हुए मधुबाला और दिलीप कुमार का ब्रेकअप हो गया. लेकिन पेशेवर होने के नाते पूरा करने के लिए एक साथ काम किया. फिल्म खत्म होने में सालों लग गए और 1960 में रिलीज हुई. फिर दिलीप कुमार ने सायरा को प्रपोज किया और उन्होंने परिवार का आशीर्वाद लेकर 1966 में शादी कर ली. जब दिलीप कुमार 44 साल के थे और अभिनेत्री सिर्फ 22 वर्ष की थी.
दिलीप कुमार की प्रेम कहानी
दिलीप कुमार को एक समय अस्मा साहिबा से प्यार हो गया था. दिलीप साहब की अस्मा से बढ़ती नजदीकियों से सायरा बानो को गहरा झटका लगा था. कहते हैं कि अस्मा साहिबा के प्यार में दिलीप कुमार ने सायरा बानो को तलाक तक दे दिया था. दिलीप कुमार और अस्मा साहिबा ने शादी कर ली थी जो कि महज दो साल चली थी. कहते हैं अस्मा साहिबा ने दिलीप कुमार को धोखा दिया था जिसके बाद इनकी शादी टूट गई थी.अस्मा साहिबा से शादी टूटने के बाद दिलीप कुमार को एक बार फिर सायरा बानो की याद सताई और दोनों ने दोबारा से शादी कर ली थी. शादी के इतने सालों बाद से आज तक सायरा बानो और दिलीप कुमार एक दूसरे की परछाई बनकर रहते हैं.
बॉलीवुड में दिलीप कुमार की दोस्ती
- नरगिस के साथ उन्होंने मेला (1948), अंदाज़ (1949), जोगन (1950), बाबुल (1950), दीदार (1951) जैसी 5 हिट फ़िल्में की. और 2 फ्लॉप जैसे अनोखा प्यार (1948), हलचुल (1951) दोनों को गोल्डन जुबली जोड़ी के नाम से जाना जाता है, लेकिन नरगिस की लाइफ में राज कपूर की एंट्री के बाद ही इन दोनों के रिश्ते में दरार आ गई थी.
- एक समय था जब वैजयंती माला और दिलीप कुमार की जोड़ी ऑन-स्क्रीन हिट थी और लोग दोनों को पसंद करते थे. एक बार दिलीप कुमार के देर से शूट शेड्यूल के कारण, निर्देशक ने वैजयंतीमाला को अपना शेड्यूल बदलने के लिए कहा, तो उन्हें गुस्सा आ गया और उन्होंने कहा - 'अगर वह दिलीप कुमार हैं तो मैं वैजयंतीमाला हूं.' अभिनेत्री के ऐसे तेवर भी काफी सुर्खियों में थे. वैजयंतीमाला ने अपना करियर बनाया और दिलीप कुमार की 'देवदास' फिल्म के साथ वापसी की.
कुछ रोचक तथ्य
- हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता, निर्माता-निर्देशक अशोक कुमार को दिलीप कुमार की अभिनय शैली पसंद आ गई थी. दिलीप कुमार कुछ समय में ही शशाधर मुखर्जी और अशोक कुमार के बहुत करीबी हो गए थे.
- उर्दू भाषा में ज्ञान होने के कारण उन्होंने पटकथा-लेखन में अपना करियर शुरू किया.
- जोगन (1950), हलचुल (1951), तराना (1951), दीदार (1951), दाग (1952), आन (1952), उरण खटोला 1955), देवदास (1955), मधुमती (1958) और याहुदी (1958)जैसी फिल्मों के बाद उनकी भूमिकाओं ट्रेजेडी किंग के रुप में बनी.
- महबूब खान की अमर (1954) में उनकी पहली नायक-विरोधी भूमिका थी.
- उन्होंने के. आसिफ की ऐतिहासिक फिल्म- मुगल-ए-आजम में प्रिंस सलीम की भूमिका निभाई थी (1960) यह फिल्म 2008 तक हिंदी-फिल्म इतिहास में दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी थी.
- दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद बॉलीवुड में सबसे अच्छे दोस्त माने जाते थे.
- 1961 में उन्होंने अपने करियर की एकमात्र फिल्म- गंगा जमुना बनाई जिसमें उनके छोटे भाई- नासिर खान ने भी उनके साथ अभिनय किया था.
- 1962 में एक ब्रिटिश फिल्म के निर्देशक- डेविड लीन ने उन्हें ब्रिटिश फिल्म में काम करने का मौका दिया था जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया था.
पुरस्कार और उपलब्धियां
- दिलीप कुमार को भारतीय फ़िल्मों में यादगार अभिनय करने के लिए फ़िल्मों का सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार के अलावा पद्म भूषण, पद्म विभूषण और पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से से भी सम्मानित किया जा चुका है.
- दिलीप कुमार को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1991 में पद्म भूषण, वर्ष 1991 में दादा साहेब फाल्के और वर्ष 2015 में पद्म विभूषण पुरस्कारों से सम्मानित किया.
- 1993 में, उन्होंने फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड जीता.
- 1997 में, पाकिस्तान सरकार द्वारा उन्हें निशान-ए-इम्तियाज़ (पाकिस्तान में सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार) पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था.
- दिलीप कुमार के नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे अधिक पुरस्कार जीतने वाले में शामिल है.
- वर्ष 2000-2006 तक, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामित किया.
- 2013 में उन्होंने अपनी पत्नी सायरा बानो के साथ मक्का की तीर्थ यात्रा की थी.
- दिलीप कुमार ने अपने पत्नी सायरा बानो के साथ पहली बार फिल्म गोपी में अभिनय किया (1970) था.
8 बार जीते फिल्मफेयर अवॉर्ड
- 1983: बेस्ट एक्टर (शक्ति)
- 1968: बेस्ट एक्टर (राम और श्याम)
- 1965: बेस्ट एक्टर (लीडर)
- 1961: बेस्ट एक्टर (कोहिनूर)
- 1958: बेस्ट एक्टर (नया दौर)
- 1957: बेस्ट एक्टर (देवदास)
- 1956: बेस्ट एक्टर (अंदाज)
- 1954: बेस्ट एक्टर (दाग)
नेशनल अवॉर्ड
- 1961: सैकंड बेस्ट फीचर फिल्म (गंगा जमुना)
- 1994: (दादासाहेब फाल्के सम्मान)
- 2006: (स्पेशल लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड)
आईफा
• २००4- भारतीय सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान के लिए आईफा पुरस्कार