नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के बनिहाल में दो साल से अधिक समय से डॉपलर रडार काम नहीं कर रहा है. यह एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जो शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ तीर्थ स्थल पर एक दर्जन से अधिक लोगों की दुखद मौतों को रोकने में मदद कर सकती थी. डॉपलर रडार एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जो भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) को बनिहाल में 100 किमी के क्षेत्र में रडार की सीमा में बादलों और वर्षा का अधिक सटीक आकलन देता है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए, इस दुखद घटना पर आईएमडी के वरीष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरके जेनामणि ने कहा कि ऐसी घटनाएं आमतौर पर उन क्षेत्रों में होती हैं जहां हमारे पास कोई वेधशाला नहीं है. पवित्र अमरनाथ गुफा क्षेत्र में हमारे अनुमान के मुताबिक 4.30 : 6.30 अपराह्न के बीच 31 मिमी बारिश होनी थी. लेकिन बादल फटने से अचानक भारी बारिश के साथ विकट स्थिति पैदा हो गई. डॉ. जेनामणि ने कहा कि यह ऊंचे इलाकों में कहीं हुआ होगा. इसलिए हमने बारिश की भविष्यवाणी की थी, लेकिन पहाड़ी इलाकों की वजह और तकनीकी कमियों के कारण, कोई भी अवलोकन करना वास्तव में मुश्किल है.
यहां यह ध्यान देने योग्य है कि ऐसे मामलों में, डोप्लर रडार का महत्व बहुत बड़ा है. बताया जा रहा है कि पवित्र गुफाओं से निकटतम डोप्लर रडार बनिहाल में था जो पिछले दो वर्षों से काम नहीं कर रहा है. इस पर डॉ. जेनामनी ने कहा कि यह सच है कि डोप्लर रडार अवलोकन प्राप्त करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है. बनिहाल में रडार के खराब होने पर डॉक्टर जेनामनी ने कहा कि इस बारे में श्रीनगर के मौसम विभाग से यह पूछना चाहिए.
रडार पूरे पीर पंजाल रेंज को कवर करने के लिए स्लेटेड है और एक बार काम करने के बाद, 270 किलोमीटर श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग, अमरनाथ यात्रियों द्वारा उपयोग की जाने वाली मुख्य सड़क के लिए बेहतर मौसम पूर्वानुमान की भविष्यवाणी करने में भी मददगार होगा. बनिहाल में, यह डॉपलर रडार एक एक्स-बैंड रडार है जिसे पहाड़ी इलाकों में वायुमंडलीय परिवर्तनों तक स्पष्ट पहुंच प्राप्त करने के लिए एक उच्च बिंदु पर स्थापित किया जाना है. यह स्थान डिफेंस जियोइनफॉरमैटिक्स रिसर्च एस्टाब्लिशमेंट (डीजीआरई) के अधीन है. जो काफी ऊंचाई पर, किसी भी गांव से दूर है. आईएमडी के एक वैज्ञानिक ने कहा कि खरीद प्रक्रिया लंबी है. इसमें समय लगता है.