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महंत नरेंद्र गिरि की मौत : संतों ने बताया साजिश, आनंद गिरि ने कहा- जांच कराए सरकार

प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस को जो सुसाइड नोट बरामद हुआ है, उसमें नरेंद्र गिरि के पूर्व शिष्य आनंद गिरि का भी नाम लिखा है. आनंद गिरि ने कहा है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच कराई जानी चाहिए.

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Published : Sep 20, 2021, 7:56 PM IST

Updated : Sep 20, 2021, 10:22 PM IST

प्रयागराज/देहरादून : प्रयागराज के बाघम्बरी गद्दी मठ से बड़ी खबर सामने आई है. यहां अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है. सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस के साथ आलाधिकारी भी मौके पर पहुंचे और मठ के लोगों से पूछताछ में लगे हुए हैं.

फिलहाल मौत की वजह अभी साफ नहीं हैं. वहीं, इस खबर के बाद साधु संतों में शोक की लहर है. वहीं, महंत नरेंद्र गिरि की मौत को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं. नरेंद्र गिरि के शिष्य रह चुके आनंद गिरि ने इसे षड्यंत्र बताया है. आनंद ने एक बयान में कहा कि नरेंद्र गिरि मजबूत शख्सियत थे, वे आत्महत्या नहीं कर सकते.

महंत नरेंद्र गिरि के पूर्व शिष्य आनंद गिरि

राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले पूर्व सांसद रामविलास वेदांती ने इसे साजिश बताया है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उनके निधन पर दुख जताया है. उन्होंने कहा कि, 'ईश्वर पुण्य आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व उनके अनुयायियों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें'.

हरिद्वार के संतों ने जताया दुख

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं प्रयागराज बाघम्बरी पीठ के पीठाधीश्वर महंत नरेंद्र गिरि महाराज के निधन पर हरिद्वार के संत स्तब्ध हैं. निरंजनी अखाड़े के सचिव एवं मां मनसा देवी ट्रस्ट के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने उनके निधन को संत समाज के लिए अपूर्णीय क्षति बताया है.

संतों में विशेष महत्व

महंत नरेंद्र गिरि पिछले करीब दो दशक से साधु संतों के बीच अहम स्थान रखते थे. प्रयागराज आगमन पर बडे़ नेता हों या फिर आला पुलिस-प्रशासनिक अधिकारी, वे महंत से आशीर्वाद लेने और लेटे हनुमान जी का दर्शन करने जरूर जाते रहे हैं.

पढ़ें: आनंद गिरि ने पैर पकड़ गुरु नरेंद्र गिरि से मांगी माफी, खत्म हुआ विवाद

शिष्य आनंद गिरि से विवाद रहा चर्चित

संगम तट स्थित लेटे हनुमान मंदिर के महंत स्वामी नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य चर्चित योग गुरु आनंद गिरि के बीच पिछले दिनों विवाद सुर्खियों में रहा है. आनंद गिरि को अखाड़ा परिषद तथा मठ बाघम्बरी गद्दी के पदाधिकारी के पद से निष्कासित कर दिया था. तब दोनों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी किए थे. तमाम साधु संत ने महंत नरेंद्र गिरि का समर्थन किया था. नरेंद्र गिरि ने कहा था कि आनंद गिरि माफी मांगे तब उनके बारे में कुछ सोचा जा सकता है. बाद में आनंद गिरि ने माफी मांग ली थी.

बयानों से चर्चा में थे महंत नरेंद्र गिरि

जुलाई, 2021 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि सभी भारतीयों का डीएनए समान है. भागवत ने कहा था, 'गाय' एक पवित्र जानवर है लेकिन जो लोग लिंचिंग में लिप्त हैं, वे हिंदुत्व के खिलाफ हैं.'

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने भी भागवत के इस बयान का समर्थन किया था. नरेंद्र गिरि ने कहा था, 'यह सच है कि देश में रहने वाले हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमानों और ईसाइयों का डीएनए समान है. कुछ लोगों ने हिंदू धर्म छोड़ दिया और लालच या दबाव में इस्लाम और ईसाई धर्म अपना लिया। सभी के पूर्वज भारत में रहने वाले मुसलमान और ईसाई पहले हिंदू थे.'

गिरि ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर भागवत की टिप्पणी का भी समर्थन किया था. उन्होंने कहा था, 'मॉब लिंचिंग की घटनाओं को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता. गाय हमारी मां है और हमेशा रहेगी. लेकिन इसके बावजूद गोहत्या के नाम पर मॉब लिंचिंग को जायज नहीं ठहराया जा सकता.' बकौल महंत नरेंद्र गिरि, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद देश में रह रहे ईसाइयों और मुसलमानों को हिंदुत्व की विचारधारा से जोड़ने की कोशिश कर रहा है.

यूनीफॉर्म सिविल कोड की मांग

अगस्त, 2020 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने देश में बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए समान नागरिक संहिता (यूनीफॉर्म सिविल कोड) लाने की मांग की थी. परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए दो बच्चों वाली नीति लागू की जाए. उन्होंने कहा कि एक समुदाय देश में अल्पसंख्यक समुदाय बना हुआ है लेकिन बहुसंख्यक समुदाय को सता रहा है.

जुलाई, 2020 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद साधु संतों की संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने काशी और मथुरा को भी मुक्त कराने का एलान किया था. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की श्री मठ बाघम्बरी गद्दी में हुई आपात बैठक के बाद अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने बताया था कि आम सहमति न बनने पर संवैधानिक तरीके से कोर्ट के माध्यम से कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी. महंत नरेंद्र गिरि ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सक्षम सरकार है और राज्य में मुस्लिम बहुल इलाकों में रहने वाले हिंदुओं को डरने की जरूरत नहीं है.

निरंजनी अखाड़े से जुड़े थे नरेंद्र गिरि

नरेंद्र गिरी वर्तमान में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष होने के साथ-साथ निरंजनी अखाड़ा के महासचिव भी थे. नरेंद्र गिरी ने ही डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह, राधे मां, निर्मल बाबा, रामपाल, आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं सहित 14 संतों को फर्जी संत घोषित किया था.

कब हुई थी निरंजनी अखाड़े की स्थापना

निरंजनी अखाड़े की स्थापना विक्रम संवत 960 कार्तिक कृष्णपक्ष के दिन गुजरात के मांडवी में हुई थी. जहां पर महंत अजि गिरि, मौनी सरजूनाथ गिरि, पुरुषोत्तम गिरि, हरिशंकर गिरि, रणछोर भारती, जगजीवन भारती, अर्जुन भारती, जगन्नाथ पुरी, स्वभाव पुरी, कैलाश पुरी, खड्ग नारायण पुरी, स्वभाव पुरी ने मिलकर अखाड़ा की नींव रखी. अखाड़े का मुख्यालय प्रयागराज में है. वहीं उज्जैन, हरिद्वार, त्रयंबकेश्वर और उदयपुर में भी अखाड़े ने अपने आश्रम बना रखे हैं. मौजूदा वक्त में 33 महामंडलेश्वर, 1000 के करीब साधु और 10 हजार नागा शामिल हैं.

Last Updated : Sep 20, 2021, 10:22 PM IST

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