नई दिल्ली:भारतीय वायु सेना ने चीन-पाकिस्तान सीमा पर 'त्रिशूल' नाम से एक प्रमुख प्रशिक्षण अभ्यास शुरू किया है (Trishul Combat Training ). चार सितंबर से शुरू हुई इस एक्सरसाइज में लड़ाकू जेट, परिवहन विमान और सतह से हवा में मार करने वाले गाइडेड हथियार शामिल हैं.
इसका मकसद पश्चिमी वायु कमान की युद्ध तैयारियों का मूल्यांकन करना है. अभ्यास 14 सितंबर तक चलेगा. हालांकि हवाई क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान अभ्यास को अस्थायी रूप से रोक दिया जाएगा.
युद्धाभ्यास में ये शामिल :पश्चिमी वायु कमान (डब्ल्यूएसी) के नेतृत्व में यह अभ्यास, लद्दाख से लेकर राजस्थान तक एक बड़े क्षेत्र में किया जा रहा है. युद्धाभ्यास में राफेल, जगुआर, मिग -29 और सुखोई -30 एमकेआई जैसे लड़ाकू विमानों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की लड़ाकू हथियार भी शामिल हैं. इस अभ्यास में परिवहन विमान C-130Js और C-17s शामिल हैं. यही नहीं सतह से हवा में मार करने वाले गाइडेड वैपन जैसे S-400s, MR-SAMS और आकाश भी अपनी ताकत दिखा रहे हैं.
दस दिन तक चलेगा अभ्यास :भारतीय वायुसेना दस दिन तक अपने कौशल का प्रदर्शन करेगी. हालांकि इस अभ्यास की टाइमिंग भी खास है. ये अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब दुनियाभर के देश 9 और 10 सितंबर को भारत में होने वाले जी20 सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं. करीब 4 साल से भारत का चीन से सीमा गतिरोध चल रहा है. जहां तक जी20 की बात की जाए तो चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग इसमें शामिल नहीं हो रहे हैं.
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राफेल, जगुआर, मिग-29 और सुखोई-30एमकेआई जैसे लड़ाकू विमानों से लेकर सी-130जे और सी-17 जैसे परिवहन विमानों से लेकर सतह से हवा में मार करने वाली सभी लड़ाकू संपत्तियां शामिल हैं. वार्षिक अभ्यास के लिए एस-400, एमआर-एसएएमएस और आकाश जैसे निर्देशित हथियार तैनात किए गए हैं.