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Trishul Combat Training : जी-20 की बैठक से ठीक पहले 'त्रिशूल' के जरिए चीन-पाकिस्तान सीमा पर भारत दिखा रहा ताकत - Trishul Combat Training

भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने उत्तर और पश्चिम में चीन-पाकिस्तान सीमा पर 'त्रिशूल' नाम से प्रशिक्षण अभ्यास शुरू किया है (Trishul Combat Training). यह अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब दुनिया के कई देश दिल्ली में होने वाले जी20 सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं.

Trishul Combat Training
भारतीय वायु सेना

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 5, 2023, 4:55 PM IST

नई दिल्ली:भारतीय वायु सेना ने चीन-पाकिस्तान सीमा पर 'त्रिशूल' नाम से एक प्रमुख प्रशिक्षण अभ्यास शुरू किया है (Trishul Combat Training ). चार सितंबर से शुरू हुई इस एक्सरसाइज में लड़ाकू जेट, परिवहन विमान और सतह से हवा में मार करने वाले गाइडेड हथियार शामिल हैं.

इसका मकसद पश्चिमी वायु कमान की युद्ध तैयारियों का मूल्यांकन करना है. अभ्यास 14 सितंबर तक चलेगा. हालांकि हवाई क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान अभ्यास को अस्थायी रूप से रोक दिया जाएगा.

युद्धाभ्यास में ये शामिल :पश्चिमी वायु कमान (डब्ल्यूएसी) के नेतृत्व में यह अभ्यास, लद्दाख से लेकर राजस्थान तक एक बड़े क्षेत्र में किया जा रहा है. युद्धाभ्यास में राफेल, जगुआर, मिग -29 और सुखोई -30 एमकेआई जैसे लड़ाकू विमानों के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की लड़ाकू हथियार भी शामिल हैं. इस अभ्यास में परिवहन विमान C-130Js और C-17s शामिल हैं. यही नहीं सतह से हवा में मार करने वाले गाइडेड वैपन जैसे S-400s, MR-SAMS और आकाश भी अपनी ताकत दिखा रहे हैं.

दस दिन तक चलेगा अभ्यास :भारतीय वायुसेना दस दिन तक अपने कौशल का प्रदर्शन करेगी. हालांकि इस अभ्यास की टाइमिंग भी खास है. ये अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब दुनियाभर के देश 9 और 10 सितंबर को भारत में होने वाले जी20 सम्मेलन में शामिल हो रहे हैं. करीब 4 साल से भारत का चीन से सीमा गतिरोध चल रहा है. जहां तक जी20 की बात की जाए तो चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग इसमें शामिल नहीं हो रहे हैं.

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राफेल, जगुआर, मिग-29 और सुखोई-30एमकेआई जैसे लड़ाकू विमानों से लेकर सी-130जे और सी-17 जैसे परिवहन विमानों से लेकर सतह से हवा में मार करने वाली सभी लड़ाकू संपत्तियां शामिल हैं. वार्षिक अभ्यास के लिए एस-400, एमआर-एसएएमएस और आकाश जैसे निर्देशित हथियार तैनात किए गए हैं.

दो मोर्चे पर ताकत दिखा रही वायुसेना :भारतीय वायु सेना एक साथ दो मोर्चों पर अपनी ताकत दिखा रही है. इस अभ्यास के जरिए भारत एलएसी से एलओसी पर अपनी ताकत दिखा रही है.

दो दिन अस्थायी रूप से रुका रहेगा अभ्यास : हालांकि ये अभ्यास 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में होने वाले G20 शिखर सम्मेलन के दौरान अस्थायी रूप से रोक दिया जाएगा. कॉन्क्लेव के दौरान दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के हवाई क्षेत्र की सुरक्षा बनाए रखने के लिए, IAF ने पहले से ही बड़ी संख्या में विमान, रडार और सतह से हवा में मार करने वाले गाइडेड हथियार (SAGWs) तैनात किए हैं.

इसके साथ ही, सेना की दो चीन-विशिष्ट पर्वतीय आक्रमण कोर 1 कोर और 17 कोर बल भी अभ्यास कर रही हैं. इनमें प्रत्येक में करीब 70,000 सैनिक हैं. ये इकाइयां गर्मियों में संपूर्ण 3,488 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर निरंतर उपस्थिति बनाए रखती हैं और अभ्यास करती हैं.

1 कोर, जिसका मुख्यालय मथुरा में है. इसने पाकिस्तान के साथ पश्चिमी मोर्चे पर अपनी पिछली भूमिका से अपना ध्यान एलएसी के उत्तरी क्षेत्र पर स्थानांतरित कर दिया है. इसके विपरीत, पानागढ़ में तैनात 17 कोर, सिक्किम के सामने चुम्बी घाटी सहित पूर्वी क्षेत्र में स्ट्राइक भूमिका पर ध्यान केंद्रित करती है.

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