आगरा :इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा में सतीश धवन केंद्र से शनिवार सुबह गगनयान मिशन के टेस्ट व्हीकल की पहली टेस्ट फ्लाइट की, जो कि सफल रही. भारत के गगनयान मिशन में आगरा के हवाई वितरण अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एडीआरडीई) की अहम भूमिका रही है. एडीआरडीई के वैज्ञानिकों ने रिकवरी सिस्टम विकसित किया है. जिसके लिए विशेष 10 पैराशूट तैयार किए हैं. जिसकी मदद से आने वाले समय में गगनयान मिशन पर जाने वाले क्रू मेंबर की सुरक्षित लैंडिंग होगी. पहले इस सिस्टम का कई बार धरातल और समुद्र पर सफल परीक्षण किया जा चुका है. इसके बाद टेस्ट व्हीकल की पहली टेस्ट फ्लाइट भी सफल रही. जिससे आगरा एडीआरडीई के वैज्ञानिक भी बेहद खुश हैं.
बता दें कि भारत के गगनयान मिशन का पहला परीक्षण शनिवार सुबह श्री हरिकोटा से किया गया. श्रीहरिकोटा से गगनयान मिशन के क्रू मॉड्यूल को रवाना किया गया. इसरो ने इस परीक्षण को टेस्ट व्हीकल अबार्ट मिशन-1 (टीवी-डी-1) नाम दिया है. जिसमें इसरो इस टेस्ट व्हीकल को अंतरिक्ष में करीब 400 किलोमीटर ऊपर भेजेगा. इसरो की निगरानी में गगनायान मिशन के क्रू मॉड्यूल की शनिवार सुबह बंगाल की खाड़ी में 10 किलोमीटर दूर लैंडिंग कराई गई. क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित लैंडिंग आगरा स्थित एडीआरडीई के वैज्ञानिकों के विकसित पैराशूट से हुई है.
आगरा और अन्य जगह किया परिक्षण :गगनयान मिशन में अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने वाले कैप्सूल की सुरक्षित वापसी के लिए स्वदेशी पैराशूट एडीआरडीई के वैज्ञानिकों ने बनाए हैं. इस सिस्टम का मलपुरा ड्रॉपिंग जोन, आगरा सहित कई अन्य जगहों पर स्थलीय सफल परीक्षण हो चुका है. एडीआरडीई आगरा के निदेशक मनोज कुमार बताते हैं कि वैज्ञानिकों ने क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित और सफल लैंडिंग के लिए पूरा सिस्टम विकसित किया है. जिसका सफल परीक्षण वैज्ञानिकों की उम्मीद से भी बेहतर रहा है. इससे वैज्ञानिकों का मनोबल और बढ़ा है.
बेहद खास हैं दस पैराशूट :इस बारे में एडीआरडीई के पीआरओ प्रदीप पाल ने बताया कि एडीआरडीई ने भारत के मानव युक्त अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान के लिए पैराशूट विकसित किए हैं. इसमें तीन अंतरिक्ष यात्रियों के दल को अंतरिक्ष में भेजने की परिकल्पना की गई है. क्रू मॉड्यूल में 10 पैराशूट हैं. जिसमें दो पैराशूट एपेक्स कवर सेपरेशन के लिए हैं. ये क्रू मॉड्यूल के डिब्बे को सुरक्षित रखेंगे. इसके अलावा वेग को स्थिर और कम करने के लिए दो ड्रग पैराशूट हैं. ड्रग पैराशूट सहित पायलट पैराशूट प्रणाली के तीन पैराशूटों का उपयोग मुख्य पैराशूट के तीन पैराशूटों को अलग-अलग निकालने के लिए तैयार किया गया है. जिससे लैंडिंग के दौरान क्रू मॉड्यूल की गति सुरक्षित स्तर तक कम की जा सके.