कोलकाता :पिछले रविवारअंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर अब्बास सिद्दीकी ने भांगर से उम्मीदवार उतारने की इच्छा जताई थी. उन्होंने भोजरहाट में एक सार्वजनिक रैली में यह दावा किया. उनके दावे ने वाम मोर्चा नेतृत्व को मामले पर चर्चा करने के लिए प्रेरित किया है.
बहुत विचार-विमर्श के बाद CPI (M) भांगर निर्वाचन क्षेत्र से इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के पक्ष में अपना उम्मीदवार वापस लेने पर सहमत हो गई है. सिद्दीकी द्वारा नया राजनैतिक संगठन तैयार किया गया है. वाम मोर्चा आईएसएफ के साथ साझा समझौते के तहत एक सीट देने के लिए दृढ़ है. वाम मोर्चा नेतृत्व को लगता है कि भांगर निर्वाचन क्षेत्र में जहां अल्पसंख्यक मतदाता ज्यादा हैं, वहां आईएसएफ अच्छा प्रदर्शन कर सकता है. हालांकि कांग्रेस जो इस समय वाम मोर्चे के साथ गठबंधन कर रही है, को आईएसएफ से होने वाले गठबंधन से अलग रखा गया है.
अल्पसंख्यक वोट पर नजर
वाम मोर्चा नेतृत्व विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों की मांगों को स्वीकार करते हुए आईएसएफ पर नरम पड़ रहा है. वाम मोर्चा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमने पर्याप्त लचीलापन दिखाया है. अब गठबंधन की वार्ता विफल होने पर कांग्रेस जिम्मेदार होगी. वाम मोर्चा पहले से ही तीन निर्वाचन क्षेत्रों जैसे जामुरिया, भांगर और नंदीग्राम पर अपना दावा वापस लेने के लिए सहमत हो गया है. सूत्रों ने बताया कि शायद अब्बास सिद्दीकी के भाई नौसाद सिद्दीकी भांगर से चुनाव लड़ेंगे. भांगर से मौजूदा विधायक तृणमूल कांग्रेस के अब्दुर रज्जाक मोल्ला हैं, जो पहले वाम मोर्चा सरकार में भूमि और भूमि सुधार मंत्री थे.
नंदीग्राम का मुकाबला दिलचस्प