नई दिल्ली : एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि तीसरी लहर हम पर निर्भर है. अगर हम इससे बचना चाहते हैं तो हमें 2-3 चीजें करने की जरूरत है. एक है आक्रामक रूप से COVID उपयुक्त व्यवहार का पालन करना. दूसरा, हमारे पास बहुत अच्छी निगरानी होनी चाहिए और तीसरा टीकाकरण के लिए आक्रामक रूप से आगे बढ़ना चाहिए.
एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया से यह पूछे जाने पर कि 'बच्चों के लिए टीके कब मिलने की उम्मीद है? तो उन्होंने कहा कि बच्चों को आमतौर पर हल्की बीमारी होती है लेकिन हमें बच्चों के लिए टीके विकसित करने की जरूरत है. क्योंकि अगर हमें इस महामारी को नियंत्रित करना है तो सभी को टीका लगाया जाना चाहिए.
वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि अभी तक भारत की 2.2 प्रतिशत आबादी इस बीमारी से प्रभावित हुई है. उन्होंने कहा कि हमें अभी भी जोखिम वाली या अतिसंवेदनशील 97 प्रतिशत आबादी की रक्षा करने के लिए सावधान बनानी चाहिए. हम अपने सुरक्षा उपायों को कम नहीं कर सकते, इसलिए रोकथाम पर निरंतर ध्यान महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि अगर हम रोकथाम और कोविड के उचित व्यवहार का पालन करते हैं, तो तीसरी लहर भले ही आती है, मामलों की संख्या उतनी नहीं होगी कि स्वास्थ्य प्रणाली दबाव में आ जाए. अग्रवाल ने कहा कि कोविड रोधी टीकाकरण कार्यक्रम में एक चुनौती जिसका सामना करना पड़ रहा है. वह है टीकाकरण को लेकर हिचकिचाहट. अग्रवाल ने कहा कि कई लाभार्थी, विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में, कोविड-19 टीके के बारे में सोशल मीडिया पर साझा किए जाने वाले मिथकों, अफवाहों, गलत सूचनाओं और दुष्प्रचार के कारण टीका नहीं ले रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मिथकों का तोड़ना जरूरी है लेकिन समुदायों को वायरस संचरण श्रृंखला को तोड़ने में कोविड के उचित व्यवहार की भूमिका के बारे में याद दिलाना भी महत्वपूर्ण है. वरिष्ठ अधिकारी यूनिसेफ द्वारा स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ साझेदारी में टीके और टीकाकरण के बारे में मिथकों को दूर करने और कोविड उपयुक्त व्यवहार (सीएबी) के महत्व को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर आयोजित एक मीडिया कार्यशाला में बोल रहे थे.