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दो जगह वोटर लिस्ट में नाम वाले मतदाताओं पर होगी कार्रवाई !

छत्तीसगढ़ में में लाखों मतदाताओं के 2 जगहों की वोटर लिस्ट (Action against voters named in voter list at two places) में नाम है. अब ऐसे मतदाताओं की खैर (voters named in voter list at two places in Chhattisgarh) नहीं. क्योंकि छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग ने अब ऐसे मतदाताओं पर कार्रवाई की तैयारी कर ली (Chhattisgarh election commission) है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट

voters named in voter list at two places in Chhattisgarh
फर्जी मतदाताओं पर होगी कार्रवाई

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Published : Jul 13, 2022, 9:40 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में लाखों मतदाता ऐसे हैं. जिन्होंने दो जगहों पर वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वा रखा (Action against voters named in voter list at two places) है. नियम के मुताबिक एक जगह से दूसरी जगह जाने पर मतदाताओं को पहले वाले वोटर लिस्ट से अपना नाम कटवाना पड़ता (voters named in voter list at two places in Chhattisgarh) है और नई जगह पर जुड़वाना पड़ता है. लेकिन लाखों मतदाता ऐसे हैं. जिनके दो-दो जगहों पर वोटर लिस्ट में नाम हैं. दूसरे राज्यों के कई मतदाताओं का नाम भी छत्तीसगढ़ वोटर लिस्ट में है और अन्य राज्यों में भी है. अब ऐसे मतदाताओं की पड़ताल निर्वाचन आयोग कर रहा (Chhattisgarh election commission) है.

कैसे की जा रही पहचान: निर्वाचन आयोग दो जगह नाम वाले मतदाताओं की पहचान के लिए आधुनिक सॉफ्टवेयर की मदद ले रहा है. ऐसे मतदाताओं को समय सीमा के अंदर एक जगह से नाम कटवाने की अपील भी की जा रही है. यदि समय सीमा में मतदाता ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई का भी प्रावधान है.

छत्तीसगढ़ में कितने मतदाताओं के दो जगह वोटर लिस्ट में नाम: छत्तीसगढ़ में तकरीबन साढ़े 6 लाख ऐसे मतदाता हैं, जो कई सालों से चुनावी समीकरण बिगाड़ रहे हैं. भारत निर्वाचन आयोग के सॉफ्टवेयर ने प्रदेश में 6 लाख 61 हजार 319 हजार ऐसे मतदाताओं की पहचान की है, जिनका दो जगह की मतदाता सूची में नाम शामिल है. खासकर रायपुर, दुर्ग और भाटापारा जैसे जिलों में छत्तीसगढ़ में बाहर से आए अधिकांश मतदाता हैं.

छत्तीसगढ़ में ओडिशा और मध्यप्रदेश के भी हैं मतदाता: रायपुर 1,04,367, बलौदाबाजार-भाटापारा 67,697, बिलासपुर 65,681, दुर्ग 53,336, जांजगीर-चांपा 38,606 दोहरे नाम वाले मतदाता मिले हैं. अन्य प्रदेश की बात करें तो ओडिशा और मध्यप्रदेश के लोगों की संख्या ज्यादा है.

दो जगह की मतदाता सूची में नाम वालों के जिलेवार आंकड़े

क्रम संख्या जिला वोटरों की संख्या
1 सरगुजा 18351
2 बिलासपुर 65681
3 रायगढ़ 21498
4 राजनांदगांव 18766
5 दुर्ग 53336
6 रायपुर 104367
7 बस्तर (जगदलपुर) 11519
8 कोरिया 13567
9 जांजगीर-चांपा 38606
10 कोरबा 22399
11 जशपुर 26617
12 कबीरधाम 14235
13 महासमुंद 17461
14 धमतरी 12215
15 कांकेर 11469
16 दंतेवाड़ा 7725
17 बीजापुर 11906
18 नारायणपुर 7048
19 सूरजपुर 21799
20 बलरामपुर 11580
21 सुकमा 7605
22 बालोद 12743
23 बेमेतरा 22718
24 कोंडागांव 7366
25 बलौदाबाजार भाटापारा 67697
26 गरियाबंद 13735
27 मुंगेली 15442
28 गौरेला-पेंड्रा मरवाही 3868
29 कुल 661319

दो जगह मतदाता सूची में नहीं होना चाहिए नाम: निर्वाचन आयोग के नियमानुसार मतदाताओं का एक जगह की मतदाता सूची से नाम विलोपित किया जाएगा. इसके लिए बीएलओ को ऐसे मतदाताओं के घर भेजकर वास्तविक जानकारी जुटाने और नाम कटवाने के लिए कहा गया है. ऐसे मतदाताओं को प्राथमिकता बताना होगा कि वो कहां कि सूची में अपना नाम रखना चाहते हैं. तय समय सीमा के बाद मतदाता अपना नाम एक जगह की सूची से नहीं विलोपित कराते हैं तो आयोग सॉफ्टवेयर के जरिए एक जगह से नाम डिलीट कर देगा.

मतदाता सूची में विलोपन और सुधार की पूरे देश में चल रही है प्रक्रिया: अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी शिखा राजपूत ने बताया कि ''ऐसे साढ़े 6 लाख मतदाताओं को सॉफ्टवेयर से ट्रेस करके आयोग ने हमें दिया है, जिनके नाम दो जगह की मतदाता सूची में हैं. यह फोटो से ट्रेस हुआ है. बीएलओ को ऐसे लोगों के घर भेजा जा रहा है. विलोपन और सुधार की प्रक्रिया की जा रही है. यह पूरे देश में चल रहा है.''

ये भी पढ़ें: बिलासपुर: बिल्हा क्षेत्र में नए मतदाताओं के नाम जोड़ने की प्रक्रिया शुरू

किस तरह ऐसे मतदाताओं की हो रही पहचान: निर्वाचन आयोग के सॉफ्टवेयर में प्रदेश के भीतर और अन्य राज्यों की मतदाता सूची अपलोड की गई है. जिसमें फोटो के माध्यम से सॉफ्टवेयर ऐसे मतदाताओं को ट्रेस कर रहा है, जिनकी दो जगह फोटो मिल रही है. ऐसे मतदाताओं को अलग सूची में डाल दिया जा रहा है. आयोग द्वारा ''एक मतदाता, एक जगह नाम'' की तर्ज पर बीते 5 वर्ष से अभियान चलाया जा रहा है. एक मतदाता का नाम एक जगह की मतदाता सूची में शामिल होना अनिवार्य किया है. आयोग के निर्देश पर एक जगह की मतदाता सूची से अपना नाम विलोपित कराने के लिए समझाइश दी जा रही है.

वोटर लिस्ट से ऐसे कटवा सकते हैं अपना नाम: वोटर लिस्ट से अपना नाम कटवाने के लिए आपको फार्म 7 भरना होगा. यह आपको नजदीकी निर्वाचन कार्यालय में मिल जाएगा. इसके अलावा फार्म 7 को निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से भी डाउनलोड किया जा सकता है. फॉर्म में वोटर आईडी रद्द कराने के संबंध में पूछी गई जानकारियों को ध्यानपूर्वक पढ़ें और सही सही भरें. निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर जाकर आप खुद पहचान पत्र रद्द करने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.

आइये जानते हैं क्या है वोटर आईडी कार्ड रद कराने की प्रक्रिया?

  1. आप मतदाता सूची से अपना नाम कटवाना चाहते हैं तो आपको फॉर्म 7 भरकर जमा करना होता है.
  2. अगर आप यह फॉर्म ऑनलाइन भरना चाहते हैं तो इस लिंक पर क्लिक करें
  3. https://www.nvsp.in/Forms/Forms/form7
  4. आप अपने नजदीकी निर्वाचन कार्यालय जाकर प्रत्यक्ष रूप से ले सकते हैं.
  5. फॉर्म आप संबंधित चुनाव पंजीकरण अधिकारी के नाम संबोधित करते हुए भरें.
  6. फॉर्म 7 में आपको नाम रद्द कराने के संबंध में जरूरी जानकारी देनी होती है.
  7. फॉर्म 7 में आपको नाम, उपनाम, भाग संख्या, सीरियल नंबर और एपिक संख्या लिखनी होती है.
  8. फॉर्म 7 किसी व्यक्ति की मृत्यु के अलावा अन्य कारणों के लिए भी भरा जाता है, इसलिए आपको फॉर्म में कारण के बारे में सही जानकारी देनी होती है.
  9. फॉर्म 7 को सत्यापित करने की प्रक्रिया में आपके हस्ताक्षर लिए जाते हैं.
  10. फॉर्म 7 इसके बाद संबंधित अधिकारी के पास जमा करना होता है.

दो जगह नाम होने पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान: दो जगह की मतदाता सूची में नाम होने पर मतदाता के खिलाफ कार्रवाई का भी प्रावधान है. यदि मतदाता दो में से एक जगह पर नाम नहीं कटवाता है तो उसके खिलाफ भारत निर्वाचन आयोग कार्रवाई कर सकता है. जिसके तहत 5 साल की सजा के साथ ही ₹1000 तक के जुर्माने का प्रावधान है.

चुनावी समीकरण पर इन मतदाताओं का क्या पड़ता है प्रभाव: दो या दो से अधिक जगहों पर मतदाता सूची में नाम होने से इसका सीधा असर चुनाव में देखने को मिलता है. दरअसल मतदाताओं की संख्या के आधार पर निर्वाचन आयोग के द्वारा चुनाव की व्यवस्था की जाती है. उसके लिए जरूरी सामग्री और संसाधन जुटाए जाते हैं. ऐसे में यदि दो जगह पर एक ही मतदाता का नाम है तो एक व्यक्ति के लिए 2 जगहों पर व्यवस्था की जाती है. इससे ना केवल संसाधनों का अपव्यय होता है बल्कि व्यवस्थाएं भी बिगड़ती है. चुनाव परिणाम पर भी इसका असर देखने को मिलता है, क्योंकि चुनाव के दौरान कितने प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, उसका आकलन मतदाता सूची में दर्ज संख्या के आधार पर ही किया जाता है.

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