वाराणसी :महिला का एक रूप मां का भी होता है. मां पर निदा फाजली ने क्या खूब लिखा है, '...बीवी, बेटी, बहन, पड़ोसन, थोड़ी-थोड़ी सी सब में, दिन भर एक रस्सी के ऊपर चलती नटनी जैसी मां.' आधी आबादी के रूप में पहचानी जाने वाली नारी या महिला उस समय 'प्रेरणा पुंज' बन जाती हैं, जब तमाम नेगेटिविटी और चुनौतियों को मात देने के बाद ये उपलब्धियों की अमिट कहानी बन जाती हैं. ऐसी ही कुछ महिलाएं वाराणसी में रहती हैं. इनका कहना है; 'तेजाब फेंककर उसने मेरे चेहरे को कुरूप जरूर बना दिया, लेकिन मेरा मन तो पहले भी सुन्दर था और आज भी है. ऐसे में मुझे अपना चेहरा छिपाने की क्या जरूरत ? चेहरा तो वह छिपाए जिसने हम पर तेजाब डालने का घृणित कर्म किया. हमें अपना चेहरा कतई नहीं छिपाना है. हमें हिम्मत और हौसले के बल पर समाज में कुछ कर दिखाना है.'
दरअसल, ये बातें किसी आम इंसान की नहीं, एक महिला ने कही है. एसिड अटैक सर्वाइवर संगीता का जिन्होंने तेजाब के हमले से पीड़ित तीन अन्य युवतियों के साथ मिलकर शहर के दुर्गाकुण्ड इलाके में रेस्त्रां 'दी ऑरेंज कैफे' खोला है. वह दिन-रात एक कर स्वावलम्बी बनने का प्रयास कर रहीं हैं. उनके इस प्रयास में सामाजिक संस्था 'एक्शन एड' व 'रेड ब्रिगेड' का काफी सहयोग है. दुर्गाकुण्ड इलाके में स्थित 'दी ऑरेंज कैफे' एक ऐसा रेस्त्रां है जिसमें तेजाब पीड़ित संगीता, बदामा लक्ष्मी व शन्नों जैसी युवतियां न सिर्फ काम करती हैं बल्कि वह इस रेस्त्रां की मालकिन भी हैं.
इस तरह हुई रेस्त्रां की शुरुआत
यह रेस्त्रां वर्ष 2019 में खुला. रेस्त्रां को खोलवाने में मददगार बनी सामाजिक संस्था एक्शन एड के प्रोग्राम आफिसर मो. अली फराज कहते हैं हमारा यह प्रयास एसिड अटैक से पीड़ित युवतियों के बदरंग जीवन में रंग भरने के साथ-साथ उन्हें स्वावलम्बी बनाना है. यही कारण है कि हमने इन बेटियों को रेस्त्रां का मालिक बना रखा है. रेस्त्रां का किराया व अन्य खर्च वहन करने के साथ-साथ हम उन्हें प्रोत्साहन राशि भी देते हैं. इस रेस्त्रां से खुद का खर्च चलाने भर की आय करने तक 'एक्शन एड' की ओर से उन्हें आर्थिक मदद दी जाती रहेगी. 'एक्शन एड' के क्षेत्रीय प्रबंधक खालिद चौधरी बताते हैं कि इस रेस्त्रां की शुरुआत कराने में सामाजिक संस्था रेड ब्रिगेड समेत अन्य सामाजिक संस्थाए भी मदगार बनीं. सभी के प्रयास से बनारस और उसके आसपास के कई जिलों की तेजाब पीड़ित युवतियों से बात कर उन्हें इस प्रस्ताव के बारे में बताया. तेजाब से हुए हमले के बाद घुटन भरी जिंदगी जी रही युवतियों को नया जीवन जीने का मौका मिला और उन्होंने यहां आकर अपने खुद के रेस्त्रां की शुरूआत की.