नई दिल्ली: जब आप अरुणाचल प्रदेश के अंजौ जिले में चीन की उत्तरी सीमा पर किबिथू सीमा पर बसी आबादी की ओर कुछ घंटों की ड्राइव करते हैं, तो आपके स्मार्टफोन में दो टाइम जोन दिखने लगते हैं, जिसमें से एक आईएसटी (IST) होता है और दूसरा बीजिंग टाइम होता है. दिलचस्प बात यह है कि बीजिंग का टाइम दो आईएसटी से करीब ढाई घंटा आगे है, वहां पर लोकल टाइम के तौर पर दिखाई देता है. किबिथू में जहां कोई भी भारतीय फोन और इंटरनेट की सुविधा नहीं है, वहां पर चीन के चार टेलिकॉम नेटवर्क 5जी का नेटवर्क (5G Network) दिखाते हैं.
इन कंपनियों में से एक चीन यूनिकॉम है, जिसे 11 जनवरी, 2021 में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (New York Stock Exchange) की ट्रेडिंग लिस्ट से हटा दिया गया था, क्योंकि चीनी सेना (chinese army) में इस कंपनी के कनेक्शन थे. इसी बीच किबिथू के पास फोन पर एक मैसेज दिखाई देता है कि अंतरराष्ट्रीय रोमिंग एक विकल्प है, जोकि तब भी उपलब्ध होगा, जब आईएसटी का समय बीजिंग के समय में बदल जाता है. इसके परिणामस्वरूप किबिथु के पास कम से कम दो 'उद्यमी' व्यवसायियों ने चीनी दूरसंचार नेटवर्क की सदस्यता ली है.
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ये व्यवसायी यहां के स्थानीय लोगों को एक निश्चित शुल्क के साथ इंटरनेट का उपयोग करने की पेशकश कर रहे हैं, जिससे उन्हें बाहरी दुनिया का एक कनेक्शन मिल सके और वे जुड़ाव की कुछ झलक पा सकते हैं. ये सारी बातें नाम न बताने की शर्त पर स्थानीय अधिकारियों ने ईटीवी भारत को बताईं. वहीं दूसरी ओर शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने कहा कि 4जी कनेक्टिविटी का निर्माण एक गेम-चेंजिंग कदम होगा और विशेष रूप से चीन की सीमा में दूरसंचार बुनियादी ढांचे पर भारी निवेश के बावजूद, यह स्पष्ट है कि भारत को अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है और अधिक निवेश व प्रयास की आवश्यकता है.
जहां भारत सरकार के पास दूरसंचार बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए एक समयबद्ध योजना है, वहीं यह सड़कों और अन्य नागरिक बुनियादी ढांचे की कमी के चलते बाधित है, क्योंकि सड़कों के ठीक से बिछाए जाने के बाद ही ऑप्टिकल फाइबर केबल (ओएफसी) बिछाई जा सकती हैं, जिससे 4जी प्रवेश की सुविधा होगी, जिससे तेजी से डेटा ट्रांसफर और बेहतर टेलीफोन कनेक्टिविटी हो सकेगी. पूर्वी अरुणाचल प्रदेश में माउंटेन ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर टीएम सिन्हा ने पत्रकारों के एक समूह को इस बारे में जानकारी दी.