नई दिल्ली : न्यायाधीशों के रिक्त पदों की संख्या, नागरिकों को न्याय देने में देरी का सबसे बड़ा कारण है. क्योंकि उच्च न्यायालयों में 40 फिसदी पद खाली हैं और निचली अदालतों में करीब 20 फीसदी पद खाली हैं.
भारत की न्याय वितरण प्रणाली जो कोविड-19 महामारी के दौरान ठहर सी गई है. उच्चतम न्यायालय में 1,080 न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत शक्ति और 251 उच्च न्यायालयों में से 441 खाली पदों के साथ न्यायाधीशों की गंभीर कमी का सामना कर रही है. स्वीकृत पदों से लगभग 40 प्रतिशत पद खाली हैं.
कहां, कितने पद खाली हैं
इसके अलावा उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में 661 न्यायाधीशों में से 255 पद भरे गए हैं. यह पद पिछले तीन वर्षों में भरे गए हैं. इनमें से अधिकांश नियुक्तियां 2018 और 2019 की गई हैं. जबकि 2020 में सुप्रीम कोर्ट और देश के 10 उच्च न्यायालयों में कोई न्यायाधीश नियुक्त नहीं किए गए हैं. जबकि पिछले साल 15 उच्च न्यायालयों में 66 न्यायाधीश नियुक्त किए गए थे. उच्चतम न्यायालय में 34 पदों में स्थिति बेहतर है, क्योंकि 2020 में केवल चार पद खाली थे. लेकिन 30 न्यायाधीशों में से आधे से अधिक 2018 और 2019 में नियुक्त किए गए हैं.
उच्च न्यायालयों में 40 प्रतिशत पद खाली
देश में 25 उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 1,046 पद हैं, जो 1.35 बिलियन से अधिक भारतीयों की सेवा करते हैं. कुल स्वीकृत शक्ति के 415 (40%) पिछले साल खाली थे. इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि देश में सात उच्च न्यायालय हैं जो लगभग आधी ताकत या उससे कम के साथ काम कर रहे हैं. पटना उच्च न्यायालय के मामले में कुल 53 पदों में से पिछले वर्ष केवल 21 न्यायाधीश काम कर रहे थे. जबकि 32 पद रिक्त थे जो कुल शक्ति का 60 फीसदी से अधिक है. इसी तरह कोलकाता उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के कुल पदों में से 40 रिक्त थे. जो स्वीकृत शक्ति से 55 फीसदी से अधिक हैं. राजस्थान उच्च न्यायालय में 50 में से 27 पद खाली थे और जोधपुर और जयपुर में उच्च न्यायालय की दो बेंच केवल 23 न्यायाधीशों के साथ काम कर रही है.
अन्य प्रदेशों की यह है स्थिति
मध्य प्रदेश में कुल 53 पदों में से 26 रिक्त थे. आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में पिछले साल कुल 37 पदों में से 18 खाली थे. जो दो उच्च न्यायालयों के लिए कुल ताकत का आधा है. संसद में सरकार द्वारा साझा किए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार दिल्ली उच्च न्यायालय में ऐसी ही स्थिति है. जो राष्ट्रीय राजधानी में कार्य करता है. यहां कुल 60 पदों में से 29 पिछले साल खाली थे. उड़ीसा उच्च न्यायालय में 27 पदों की स्वीकृत शक्ति की जगह केवल 15 न्यायाधीश काम कर रहे थे. 12 पद खाली थे जो कुल पदों का 45 फीसदी है.