शिमला: मैं हिमाचल प्रदेश हूं. वही जिसे आप देश के पहले परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा की बहादुरी के कारण जानते हैं. मैं वही हिमाचल हूं जिसे आप हरी-भरी वादियों और बर्फ से ढके पहाड़ों, सेब, नाशपाती, पन बिजली या कुछ धरोहरों के लिए जानते हैं. मुझे गर्व है कि मुझे आप अब अटल रोहतांग सुरंग के कारण भी जानते हैं. लेकिन मेरा नाम हिमाचल कैसे पड़ा और कहां ये नामकरण हुआ क्या आप ये जानते हैं? नहीं जानते तो आगे पढ़ें विस्तार से...
देवभूमि के नाम से विश्वभर में प्रसिद्ध हिमाचल प्रदेश उत्तर में जम्मू कश्मीर, पश्चिम में पंजाब, दक्षिण में उत्तर प्रदेश और पूर्व में उत्तराखंड से घिरा है. 55 हजार 673 वर्ग किलोमीटर में फैला हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना है. विश्व के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक हिमाचल में ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं, गहरी घाटियां, सुंदर झरने और हरियाली देखते ही बनती है.
हिमाचल प्रदेश का इतिहास: ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत का हिस्सा रहे हिमाचल प्रदेश को 26 जनवरी 1950 को हिमाचल को पार्ट-सी स्टेट का दर्जा मिला. इसके बाद 1 नवंबर, 1956 को हिमाचल को केंद्र शासित राज्य बनाया गया और फिर एक लंबे इंतजार के बाद 25 जनवरी 1971 के दिन हिमाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बर्फ के फाहों के बीच शिमला के रिज मैदान में जनसभा से 18वें राज्य के तौर पर हिमाचल प्रदेश की घोषणा की.
हिमाचल प्रदेश का नामकरण:यह तो वह इतिहास है, जिसे देश-प्रदेश के लगभग सभी लोग जानते हैं. लेकिन यह बहुत कम लोग जानते हैं कि हिमाचल प्रदेश का नामकरण सोलन शहर के दरबारी हॉल में हुआ था. सोलन शहर के दरबारी हॉल में 28 रियासतों के राजाओं ने एक साथ अपना शासन छोड़ और एक स्वर में इस खूबसूरत प्रांत का नाम हिमाचल रखने की बात कही. राजशाही शैली में बना यह भवन बघाट रियासत के 77वें राजा दुर्गा सिंह का दरबार था, जहां बघाट रियासत के राजा जनता की समस्याओं को सुना करते थे.