दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

भीमा कोरेगांव युद्ध की 205वीं वर्षगांठ: भीमा कोरेगांव में बड़ी संख्या में लोग जुटे

भीमा कोरेगांव युद्ध की आज 205वीं बरसी है. हर साल एक जनवरी को दलित समुदाय 1818 की जंग की वर्षगांठ मनाते हैं, जिसमें ईस्ट इंडिया कंपनी के बलों ने दलित सैनिकों के साथ पुणे के पेशवा की सेना को पराजित किया था. इस मौके पर यहां स्मृति कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.

205th anniversary of the Bhima Koregaon
प्रतिकात्मक तस्वीर

By

Published : Jan 1, 2023, 9:04 AM IST

Updated : Jan 1, 2023, 1:11 PM IST

नये वर्ष के स्वागत के साथ भीमा-कोरेगांव युद्ध की 205वीं वर्षगांठ पर बड़ी संख्या में लोग जुटे.

पूणे (महाराष्ट्र) : भीमा-कोरेगांव युद्ध की 205वीं वर्षगांठ पर पुणे के भीमा कोरेगांव में बड़ी संख्या में लोग जुटे. इससे पहले कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नितिन राउत ने गुरुवार को कथित तौर पर दक्षिणपंथी संगठन द्वारा एक जनवरी को कोरेगांव भीमा विजय स्मारक को ध्वस्त करने की धमकी पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा कुछ भी होता है तो उसका माकूल जवाब मिलेगा. यहां विधान भवन परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में राउत ने दावा किया कि करणी सेना ने चेतावनी दी है कि वह एक जनवरी को मनाए जाने वाले शौर्य दिवस पर कोरेगांव भीमा स्थित विजय स्तंभ को ध्वस्त कर देगी.

पढ़ें: शिंदे धड़े पर भाजपा ने लगाया हमले का आरोप, पुलिस ने दर्ज की परस्पर प्राथमिकियां

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र शांतिपूर्ण राज्य है और कुछ संगठनों द्वारा इस तरह का उकसावा ठीक नहीं है. महाराष्ट्र की जनता इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. राउत ने कहा कि संगठन भीम को मानने वालों को उकसा रहे हैं और समाज में खाई पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. अगर वे ऐसा कुछ करते हैं तो उन्हें माकूल जवाब मिलेगा.

साल 2017 में भड़क गई थी हिंसा :आज बरसी के मद्देनजर इलाके में सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए हैं. साल 2017 में पुणे से करीब 40 किलोमीटर दूर भीमा-कोरेगांव में अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था, जिसका कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने विरोध किया. इसके बाद हिंसा भड़क गई थी.

भीमा कोरेगांव की लड़ाई के बारे में जानें: भीमा कोरेगांव की लड़ाई 1 जनवरी 1818 को कोरेगांव भीमा में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और पेशवा सेना के बीच लड़ी गई थी. इस लड़ाई की खास बात यह थी कि ईस्ट इंडिया कंपनी के झंडे तले 500 महार सैनिकों ने पेशवा बाजीराव-2 की 25000 सैनिकों की टुकड़ी से लोहा लिया था.

अंग्रेजों-महारों ने मिलकर पेशवा को हराया: उस वक्त महार अछूत जाति मानी जाती थी और उन्हें पेशवा अपनी टुकड़ी में शामिल नहीं करते थे. महारों ने पेशवा से गुहार लगाई थी कि वे उनकी ओर से लड़ेंगे, लेकिन पेशवा ने ये आग्रह ठुकरा दिया था. बाद में अंग्रेजों ने महारों का ऑफर मान लिया, जिसके बाद अंग्रेजों और महारों ने मिलकर पेशवा को हरा दिया.

पढ़ें: पाकिस्तान नाजुक दौर से गुजर रहा है : सेना प्रमुख

Last Updated : Jan 1, 2023, 1:11 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details