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Published : Jul 29, 2023, 6:53 PM IST

Updated : Jul 29, 2023, 7:01 PM IST

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जोशीमठ के बाद मसूरी में बिगड़ सकते हैं हालात! 15 फीसदी हिस्सा संवेदनशील, NGT ने सरकार को सुझाये 19 प्वाइंट्स

उत्तराखंड में जोशीमठ, नैनीताल के साथ ही पहाड़ों की रानी मसूरी भी भूस्खलन की चपेट में है. भूस्खलन और भू धंसाव के लिहाज के मसूरी का 15% हिस्सा बेहद संवेदनशील है. इसके लिए एनजीटी पहले भी कई बार राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंप चुकी है. जोशीमठ भू धंसाव की घटना के बाद एक बार फिर से एनजीटी ने राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी है. जिसमें मसूरी को बचाने के लिए एनजीटी ने 19 प्वाइंट सरकार को बताये हैं.

Landslide threat in Mussoorie
जोशीमठ के बाद मसूरी में बिगड़ सकते हैं हालात!

देहरादून(उत्तराखंड): पहाड़ों की रानी, मसूरी उत्तराखंड में सबसे खूबसूरत शहरों में से एक है. बड़ी संख्या में हर साल यहां पर्यटक पहुंचते हैं. मसूरी का मौसम, सर्द हवाएं इसे पहाड़ों की रानी बनाती हैं. सबसे व्यस्त शहर होने के कारण मसूरी में बसावट भी तेजी से बढ़ी है. जिसके कारण यहां भी कई तरह की परेशानियां समय के साथ मुंह उठा रही हैं. मसूरी में भी भूस्खलन और भू धंसाव की समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है. नैनीताल, जोशीमठ जैसे शहरों के साथ ही मसूरी में भी ये बड़ी समस्या है. जिसे लेकर सरकार, प्रशासन के साथ- साथ पर्यावरणविद भी चिंतित हैं.

जोशीमठ के साथ ही मसूरी में भूस्खलन और भू धंसाव की घटनाओं को लेकर एक अध्ययन करवाया गया. जिसके बाद एनजीटी ने राज्य सरकार से मसूरी को बचाने के लिए कुछ कड़े और बड़े कदम उठाने की बात कही. एनजीटी ने कहा अगर समय से ये कदम नहीं उठाया गया तो मसूरी में भी जोशीमठ जैसे हालात पैदा हो सकते हैं. एनजीटी ने इसके लिए 200 से अधिक पन्नों की रिपोर्ट सरकार को सौंपी है. आखिर इस रिपोर्ट में क्या कुछ खास है, आइये आपको बताते हैं.

खूबसूरत पहाड़ों की रानी मसूरी

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एनजीटी की रिपोर्ट में क्या है खास: राज्य सरकार को सौंपा गई एनजीटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि मसूरी के हालात फिलहाल सही नहीं हैं. यहां लगातार पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. जिसके कारण मसूरी शहर पर दबाव बढ़ रहा है.एनजीटी ने कहा सरकार को चाहिए कि मसूरी में पर्यटकों की संख्या को सीमित करे. कैपेसिटी से ज्यादा गाड़ियों का मसूरी पहुंचना भी चिंताजनक है. इससे मसूरी का वातावरण प्रदूषित हो रहा है. रिपोर्ट में मसूरी आने वाले पर्यटकों के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य करने की बात कही गई है. साथ ही एनजीटी ने अपनी सिफारिश में मसूरी आने वाले पर्यटक से हरित टैक्स वसूल करने की बात भी कही है. जिसका पैसा मसूरी शहर की साफ सफाई में लगाया जाये.

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एनजीटी ने कहा मसूरी में सीजन में छोटे-बड़े वाहनों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है. जिसे रेगुलेट करना बेहद अनिवार्य है. एनजीटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा सरकार को मसूरी में बड़े निर्माणकार्यों को बिल्कुल भी अनुमति नहीं देनी चाहिए. एनजीटी ने कहा अगर जरूरी हो तो बड़े होटल या बड़ी दूसरी इमारतों के बनने से पहले उसका विस्तृत सर्वेक्षण हो. जिसमें भू वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की राय ली जाये. मसूरी के कई हिस्सों में दरारें देखी जा रही हैं. लिहाजा उन दरारों को भरने के लिए भी सरकार वैज्ञानिक दृष्टि से कदम उठाए. एनजीटी ने अपनी रिपोर्ट में लगभग 19 पॉइंट ऐसे दिए हैं जिस पर अगर अमल किया जाता है तो काफी हद तक मसूरी की सूरत को ना केवल सुधारा जा सकता है बल्कि आने वाले खतरे को भी टाला जा सकता है.

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एनजीटी पहले ही दे चुकी है रिपोर्ट: मसूरी में जिन जगहों पर दरारें आ रही हैं या अत्यधिक पहाड़ पर दबाव महसूस हो रहा है उसको लेकर पहले भी एनजीटी अपनी रिपोर्ट दे चुकी है. यह रिपोर्ट साल 1998 से लेकर 2011 और 2018 के बीच में शासन को भेजी जा चुकी है. इस पर कोई भी अभी तक एक्शन नहीं हुआ. अब मसूरी में झील प्रकरण हो या जोशीमठ में दरारों आने के बाद राज्य सरकार इस मामले में तेजी से काम कर रही है. मसूरी में कई क्षेत्र ऐसे हैं जो बेहद संवेदनशील हैं. जिसमें किंक्रेग लाल बहादुर शास्त्री का ऊपरी क्षेत्र, जिसे फ्रीज जोन घोषित किया गया है. यहां पर सिर्फ आवासीय श्रेणी में 100 मीटर वर्ग तक ही निर्माण की अनुमति है. फ्रीज जोन के बाहर डिनोटिफाइड वन विभाग के क्षेत्र में 150 मीटर तक आवासीय निर्माण किया जा सकता है. 1980 से पहले बने इस स्थान पर मकानों और इमारतों को सिर्फ मरम्मत के लिए छेड़ा जा सकता है. यहां नया निर्माण नहीं हो सकता है. इसके बावजूद लगातार क्षेत्र में अपनी मनमर्जी से इमारतों को बनवाने का सिलसिला जारी है. हालही में खानापूर्ति के लिए संबंधित विभाग एमडीडीए ने एक या दो इमारतों को सील किया, मगर कुछ समय बाद यहां फिर वहीं ढाक के तीन पात वाला मामला है.

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मसूरी का 15% हिस्सा बेहद संवेदनशील: मसूरी को लेकर वैज्ञानिक भी कई बार चिंताएं जता चुके हैं. जोशीमठ की घटना के बाद वैज्ञानिकों ने कहा मसूरी के आसपास का 15 प्रतिशत ऐसा हिस्सा बेहद संवेदनशील है. इस क्षेत्र में लगातार भूस्खलन का खतरा बना रहता है. कुछ सालों में मसूरी की सड़कें मलबा आने से बाधित हुई है. इसके कारण कई एक्सीडेंट भी हुये हैं. इतना ही नहीं कैंपटी फॉल, जॉर्ज एवरेस्ट, बाटाघाट, खाना पट्टी जैसे इलाके सबसे संवेदनशील हैं.

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अंधाधुंध विकास पड़ रहा भारी!

100 साल पुरानी टंकी की दरारें बढ़ा रही टेंशन: 1902 में अंग्रजों ने गन हिल में पानी की टंकी बनाई. इस टंकी काम 1920 में पूरा हुआ. यह टंकी लगातार मसूरी वासियों के गले तर कर रही है. इस टंकी को 100 साल पूरे हो गए हैं. अब टंकी के आसपास दरारें देखी जा रही हैं. ऐसा नहीं है कि प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है. प्रशासन लगातार दरारें भरने, मरम्मत की बात करता आया है. मगर, बात के सिवा इस मामले में कुछ होता दिखाई नहीं देता. 1952 में आखिरी बार इस इस टंकी की मरम्मत हुई थी. तब से इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया. कभी सुनसान दिखने वाली इस जगह पर भी अब कई दुकानें खुल गई हैं.

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मुसीबतों से निपटने में लगी है सरकार

ये हैं मसूरी के असली दुश्मन: पर्यावरणविद और वरिष्ठ पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा कहते हैं मसूरी में जिस तरह से बीते कुछ सालों से अत्यधिक निर्माण और निर्माण के बाद कमाने की होड़ लगी है वो चिंतनीय है. उन्होंने कहा यात्रियों को जहां-तहां ठहरने, कूड़ा करकट फेंकने, खाने पीने की व्यवस्था, उल्टे सीधे तरीके शहर के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं हैं. आज मसूरी की ठंडक धीरे धीरे कम हो रही है. बहुगुणा कहते हैं लोग यह नहीं समझ रहे हैं कि चाहे वह जोशीमठ हो या मसूरी या फिर पहाड़ का कोई भी क्षेत्र ये सभी अभी कम उम्र के हैं. ऐसे में ये अधिक वजन नहीं उठा सकते हैं. आज लोगों को ये समझने की जरूरत है.

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बीते साल आये रिकॉर्ड तोड़ पर्यटक, गाड़ियां: बता दें छोटे से हिल स्टेशन मसूरी में साल 2022 में ही लगभग 12 लाख पर्यटक घूमने के लिए पहुंचे. यह संख्या इसलिए भी बेहद ज्यादा है क्योंकि मसूरी में सीमित संसाधन के साथ-साथ रुकने की और गाड़ी खड़ी करने की इतनी अधिक व्यवस्था नहीं है. एक आंकड़े के मुताबिक मसूरी में 250 छोटे बड़े होटल हैं. जिसमें करीब 5000 कमरे बने हैं. 1200000 लोगों का 1 साल के अंदर मसूरी में सिर्फ आना यह बताता है कि लोग मसूरी में आने के लिए कितने उत्सुक हैं. मसूरी में पर्यटकों की संख्या इसलिए भी अधिक है क्योंकि यहां से राजधानी देहरादून केवल 1 घंटे की दूरी पर है. इतना ही नहीं दिल्ली, हिमाचल और उत्तर प्रदेश से आने वाले पर्यटक यहां एक ही दिन में आना जाना कर सकते हैं.

मसूरी में गाड़ियों की पार्किंग

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मसूरी में क्यों बढ़ रही पर्यटकों की संख्या:साल 2013 के बाद से ही उत्तराखंड में आने वाले पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसमें चार धाम यात्रा, सर्दियों के मौसम में बर्फबारी का आनंद लेने पहुंचे पर्यटक और गर्मियों में ठंडी हवाओं का लुफ्त उठाने के लिए पहुंचने वाले पर्यटक शामिल हैं. मसूरी में पर्यटकों की संख्या बढ़ने का सबसे बड़ा कारण यहां लोगों की पहुंच है. दिल्ली, यूपी, हरियाणा या दूसरे आस पास के राज्यों से आसानी से मसूरी पहुंचा जा सकता है. यहां हवाई मार्ग से पहुंचने के लिये जौलीग्रांट एयरपोर्ट हैं. जौलीग्रांट एयरपोर्ट से मसूरी केवल एक घंटे की दूरी पर है. रोड के रास्ते भी मसूरी तक पहुंचने के लिए बेहद शानदार है. खूबसूरत नजारे, प्राकृतिक दृश्य मसूरी के सफर को रोचक बनाते हैं.

मसूरी कैंपटी फॉल

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ऐसा नहीं है कि मौजूदा समय में पर्यटकों से मसूरी में शुल्क नहीं वसूला जा रहा है. मसूरी में दाखिल होते ही ईको शुल्क के रूप में मसूरी नगर निगम स्कूटर से या बाइक से ₹12 वसूलता है. कार से ₹60 और बस ट्रक से ₹180 वसूला जाता है. यह पैसे मसूरी नगर निगम साल 2008 से ही वसूल रहा है. नगर पालिका के अध्यक्ष अनुज गुप्ता का कहना है कि नगर निगम इन पैसों से यहां व्यवस्थाओं को दुरुस्त करता है. जिसमें कूड़ा निस्तारण, पानी, गली मोहल्लों की सड़कों को ठीक करना, रंग रोगन जैसे काम होते हैं. मौजूदा समय में मसूरी शहर से 10 से 15 टन कूड़ा इकट्ठा होता है. इसके साथ ही मसूरी को पर्यटन विभाग की तरफ से पीडब्ल्यूडी और अन्य विभागों की तरफ से भी बड़ा मद मिलता है.

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फिलहाल रिपोर्ट और एडवाइजरी जारी होने के बाद शासन इस बात को लेकर जल्द बैठक करेगा. जिसमें मसूरी को लेकर क्या कुछ किया जा सकता है इस पर विचार किया जाएगा. सरकार ने इसके लिए मुख्यसचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन पहले ही किया हुआ है. ये समिति मसूरी के हर पहलू पर नजर रख रही है. बैठक के बाद कमेटी जल्द ही मसूरी में पर्यटकों की संख्या, शुल्क और दूसरी चीजों पर फैसला लेगी.

Last Updated : Jul 29, 2023, 7:01 PM IST

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