जयपुर. राजस्थान के विधानसभा चुनाव में मोदी की गारंटी बनाम अशोक गहलोत की गारंटी की चर्चाओं की बात हो रही है. जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुशासन और सुरक्षा की बात कर रहे थे, वहीं गरीब और पिछड़े तबके के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सामाजिक सुरक्षा यानी कल्याण की गारंटी लेकर आ रहे थे. इसके बाद भी नतीजों ने गहलोत के वादों को जनता के इरादे में तब्दील होने से उलट परिणाम दिए. ईटीवी भारत पर जानते हैं कि आखिर क्यों गहलोत की गारंटी मोदी के चेहरे के आगे बौनी साबित हो गई.
Rajasthan Assembly Election Result 2023: राजस्थान के रण में कांग्रेस चित, हार के पीछे रहे ये 10 बड़े कारण
Rajasthan vidhan sabha chunav assembly election Result 2023 विधानसभा चुनाव के नतीजे में कांग्रेस की करारी शिकस्त और भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने के पीछे अब राजनीतिक पंडित करण तलाश रहे हैं. इस बार राजस्थान में राज कायम रहने और रिवाज बदलने की चर्चाएं हुई, लेकिन नतीजों ने इन दावों को गलत साबित कर दिया और इसके पीछे ये 10 बड़े कारण रहे हैं.
Published : Dec 3, 2023, 10:50 PM IST
|Updated : Dec 3, 2023, 11:00 PM IST
कांग्रेस की हार के पीछे ये हैं 10 कारण
- भारतीय जनता पार्टी ने मौजूदा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पर तुष्टीकरण के आरोप लगाते हुए लगातार सांप्रदायिक घटनाओं के लिए वर्तमान सरकार को जिम्मेदार बताया था. ये राजस्थान के जनमानस पर काफी हद तक असर करता हुआ नतीजे में दिखा.
- उदयपुर में हुए कन्हैया लाल टेलर हत्याकांड का जिक्र भाजपा के हर स्टार प्रचारक ने अपनी जनसभा में किया था. जिसकी काट निकालने में कांग्रेस सरकार नाकाम साबित हुई.
- 5 साल के दौरान साधु-संत, महंत और पुजारी के साथ हिंसा और हत्या जैसी वारदात को लेकर भाजपा की ओर से खड़े किए गए सवालों का जवाब कांग्रेस सरकार नहीं तलाश सकी थी.
- महिला उत्पीड़न को लेकर लगातार पीएम मोदी से लेकर भाजपा नेता राजस्थान के सूरत ए हाल का जिक्र करते रहे, जो कहीं न कहीं वोटिंग के दौरान कांग्रेस के खिलाफ गया.
- मंत्री शांति धारीवाल की ओर से सबसे ज्यादा बलात्कार के मामले को लेकर दिए गए एक विवादित बयान को भारतीय जनता पार्टी ने जमकर उठाया.
- राजस्थान में कानून व्यवस्था के कई मामले 5 साल के दौरान अशोक गहलोत को बतौर गृहमंत्री कटघरे में खड़ा करते रहे और लॉ एंड ऑर्डर गहलोत की हार का एक बड़ा कारण रहा.
- मुख्यमंत्री और विधायकों के बीच लोकप्रियता की जंग में गहलोत ने भी स्वीकार किया था कि विधायक जनता का दिल जीतने में कामयाब नहीं रहे. ऐसे में स्थानीय चेहरों से नाराजगी देखने को मिली, 17 मंत्री चुनाव हार गए.
- सचिन पायलट को मुख्यमंत्री के रूप में देखने की चाहत रखने वाले गुर्जर समाज ने 2018 में एक तरफ कांग्रेस को समर्थन दिया था. 2023 में पूर्वी राजस्थान और गुर्जर बाहुल्य सीटों के नतीजे ने जाहिर कर दिया कि गुर्जर एक बार फिर परंपरागत पार्टी भाजपा के साथ लौट आया और इसका खामियां कांग्रेस को उठाना पड़ा.
- राजस्थान में महंगी पेट्रोल की दरों को लेकर भी भाजपा ने स्थानीय सरकार को घेरा. मोदी ने आरोप लगाए पर गहलोत इसका जवाब देने में असफल रहे.
- सादगी की मूरत के रूप में पहचान रखने वाले मारवाड़ के गांधी अशोक गहलोत का डिजाइनिंग चेहरा इस बार राजस्थान की आवाम को पसंद नहीं आया. परंपरागत प्रचार से उलट इवेंट कंपनी के जरिए बनाई गई रणनीति में खामियों ने अशोक गहलोत को शिकस्त दी.
मुख्यमंत्री के ओएसडी ने भी जताई नाराजगीः मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने भी चुनाव नतीजे को लेकर अपने ही नेता पर सवाल खड़े कर दिए. इस बात से साफ जाहिर होता है कि चुनाव के दौरान पहले ही कांग्रेस आलाकमान के दबाव में नेताओं ने एकजुटता दिखाने की कोशिश की, पर जमीन की हालत इन नतीजे का बड़ा कारण है. अलग-अलग गुटों में बंटे नेताओं के साथ-साथ मुख्यमंत्री के किले में भी उनके रुख को लेकर संतुष्टि नहीं थी.