राजनांदगांव/डोंगरगांव: चिकित्सा के क्षेत्र में नर्स के बिना मरीजों का उपचार और सेवा संभव नहीं है. इसका जीता जागता उदाहरण हम सभी ने देखा है कि, किस तरह नर्स अपनी ड्यूटी के दौरान बिना रुके मरीजों की सेवा में लगी रहती है. 12 मई को नोबल नर्सिंग सेवा की शुरुआत करने वाली फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिवस को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है.
सामान्य दिनों में हो या वर्तमान में कोरोना संक्रमण जैसी विपदा के समय डॉक्टरों के साथ-साथ अस्पतालों में नर्स का अहम योगदान है. नर्स या सिस्टर्स की ड्यूटी अस्पतालों में डॉक्टरों से ज्यादा जिम्मेदारी भरी होती है और वे अपनी पारिवारिक जिम्मदारियों और परेशानियों को दरकिनार कर विषम परिस्थितियों में भी पूरी निष्ठा से अपनी सेवाएं देती हैं. मरीजों की देखरेख, चिकित्सक के नियंत्रण में उपचार सहित परिवार कल्याण की विभिन्न योजनाओं में नर्स की अहम भूमिका है. अस्पताल में बेड की चादर बदलने से लेकर, मरीजों की निरंतर देखरेख के साथ दवाईयां देना और हर तरह से बिना थके और परेशान हुए सेवा करना इनकी ड्यूटी में शामिल है.नवजात शिशु से लेकर बुजुर्ग मरीज सभी की देखभाल नर्स एक जैसे ही करती हैं.
'मरीज की खुशी में मिलती है खुशी'
डोंगरगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पदस्थ नर्सिंग सिस्टर्स सहित अन्य नर्सों ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि 'उन्हें कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन जब वे मरीजों को बीमारी और उनकी तकलीफों से राहत दिलाने में कामयाब हो जाते है तो उन्हें काफी खुशी होती है'. हालांकि कोरोना के इस मौजूदा मुश्किल दौर में नर्स अपनी और मरीजों की सुरक्षा के लिए PPE किट की मांग कर रही हैं.