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लोक आस्था का महापर्व: बेतिया में बेटे के दीर्घायु होने के लिए 17 वर्षों से छठ कर रही है जूही यासमीन

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Published : Oct 28, 2022, 6:17 PM IST

लोक आस्था का महापर्व छठ हिन्दू ही नहीं मुस्लिम महिलाओं के लिए भी आस्था का प्रतीक बन गया है. पहले मुस्लिम समुदाय के लोग छठ में सहयोग करते थे, अब पर्व के प्रति आस्था इतना बढ़ गया है कि कई मुस्लिम महिलाएं छठ व्रत करती हैं. नरकटियागंज नगर के वार्ड संख्या 7 की एक मुस्लिम महिला विगत 17 वर्षो से छठी मईया (Muslim woman doing Chhath for son in Bettiah) की पूजा करते आ रही हैं. आइये जानते हैं उनकी आस्था की कहानी.

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बेतियाःछठ पूजाके अवसर पर धर्म की दीवार टूटती दिख रही है. मुस्लिम महिलाएं भी पूरे आस्था के साथ छठ करने में जुटी हैं. नरकटियागंज नगर के वार्ड संख्या 7 की एक मुस्लिम परिवार के घर में गूंज रही छठ के गीत से लोग अचंभित हो जाते हैं. यह परिवार पिछले 17 वर्षों से विधिवत छठ पूजा (Bettiah Muslim women perform Chhath ) कर रहा है. मुस्लिम महिला ने बताया कि 17 वर्ष से लगातार पूरी विधि विधान के साथ छठ पूजा कर रही है. पकवान भी बनाती है.

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बेतिया में 17 वर्षों से छठ कर रही है मुस्लिम महिला.

बेटे की तबीयत खराब रहती थीः व्रती जूही यासमीन ने बताया कि 17 वर्ष पूर्व संतान की प्राप्ति हुई थी. उसकी तबीयत खराब रहती थी. एक दिन छठी मईया से बेटे की तबीयत ठीक होने की कामना की. छठी मईया ने उनकी बात सुन ली. मन्नत पूरी होने के बाद से पूरी आस्था के साथ छठ व्रत रखती है. जूही ने बताया कि विगत 17 वर्षों से छठ पूजा (Muslim woman doing Chhath for son in Bettiah) कर रही है.

छठ पर्व की तैयारी करती महिला.

36 घंटे का निर्जला व्रतः भगवान सूर्य व छठी माता को समर्पित यह पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. यह पर्व चार दिन तक चलता है. इस साल ये 28 अक्टूबर से शुरू होकर 31 अक्टूबर तक चलेगा. छठ पूजा में संतान के स्वास्थ्य, सफलता व दीर्घायु के लिए पूरे 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है. नहया खाय के साथ शुक्रवार से छठ पर्व की शुरुआत हो गयी है. घर में चने की दाल, लौकी की सब्जी और भात प्रसाद के रूप में बनता है.

गेहूं सुखाती महिला.

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29 अक्टूबर को खरनाः छठ पर्व का दूसरा दिन खरना का होता है. खरना 29 अक्टूबर को होगा. इस दिन महिलाएं गुड़ की खीर का प्रसाद बनाती हैं और रात को ग्रहण करती हैं. इसे प्रसाद के रूप में भी बांटा जाता है. इसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है. छठ पूजा के तीसरे दिन सूर्यास्त के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है. चौथे दिन व्रती पानी में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इसके बाद छठ पूजा का समापन होता है.

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