रोहतास:बिहार केलाल धर्मेंद्र कुमार सिंह (Dharmendra Kumar Singh Last Rituals In Rohtas) का शव उनके पैतृक गांव रोहतास के सरैया (Saraiya Rohtas) पहुंचा. जहां ग्रामीणों ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी. इससे पहले उन्हें वहां उपस्थित जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया. CRPF के जवान धर्मेंद्र कुमार सिंह का पार्थिव शरीर जैसे ही उनके गांव पहुंचा भारत माता की जयकारे से पूरा इलाका गूंज उठा. बता दें सीआरपीएफ कांस्टेबल धर्मेंद्र कुमार सिंह नऊपड़ा जिला के पथधारा क्षेत्र में नक्सलियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गया. ये मुठभेड़ मंगलवार को छत्तीसगढ़ (Dharmendra Kumar Singh Martyred In Chhattisgarh) और ओडिशा की सीमा पर हुई थी.
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12 साल के बेटे ने दी पिता को मुखाग्नि: शहीद जवान को उनके 12 साल के पुत्र रौशन ने मुखाग्नि दी. शहीद धर्मेंद्र कुमार सिंह के पैतृक गांव में उमड़े जन सैलाब ने अपने दिवंगत बेटे को श्रद्धांजलि दी. शहीद जवान को श्रद्धांजलि देने के लिए ग्रामीणों के अलावा आसपास के कई गांव को लोग भी इकट्ठा हो गए. बता दें कि देर रात शहिद धर्मेंद्र कुमार सिंह का शव उसके गांव पहुंचा था. वहीं आज सुबह पूरे रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया गया. इस दौरान सीआरपीएफ के जवानों ने राइफल से फायरिंग कर अपने दिवंगत साथी को श्रद्धांजलि अर्पित की.
नक्सलियों से लोहा लेते हुए शहीद: इस दौरान सीआरपीएफ के DIG संजय कुमार के अलावे रोहतास के एसपी आशीष भारती, डीआईडी छत्रनिल सिंह, उप विकास आयुक्त शेखर आनंद के अलावे अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे. छत्तीसगढ़ और ओडिशा की सीमा पर सुरक्षाबलों की नक्सलियों से मुठभेड़ हो गई थी. जिसमें सीआरपीएफ के तीन जवान शहीद हो गए. उनमें बिहार के लाल सीआरपीएफ कांस्टेबल धर्मेंद्र कुमार सिंह भी शामिल हैं.
शहीद धर्मेंद्र कुमार सिंह को गार्ड ऑफ ऑनर नम आंखों से दी गई वीर सपूत को विदाई: शहीद जवान 'सरैया' गांव के किसान रामायण सिंह के बड़े पुत्र थे. वर्ष 2011 से CRPF में कांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे. धर्मेंद्र कुमार सिंह की उनके सर्वोच्च बलिदान पर पूरा गांव गौरान्वित है और नम आंखों से अपने शहीद बेटे को अंतिम विदाई दी. शहीद धर्मेंद्र कुमार सिंह अपने दो भाइयों में सबसे बड़े थे. इनके दो संताने भी हैं. घर में बुजुर्ग माता-पिता हैं.
"जो भी परिवार को लाभ मिलेगा विस्तार से समझा दिया गया है. जो भी प्रावधान है उसका पालन होगा. शहीन जवान धर्मेंद्र सिंह के बलिदान को हमेशा याद रखा जाएगा."- संजय कुमार, डीआईजी सीआरपीएफ, गया रेंज