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पूर्णिया: गरीबों की मदद के लिए सामने आ रहे हैं युवा, ठंड से ठिठुरते लोगों में बांटे कंबल

युवक ने बताया कि विदेशों में तो यह बहुत पहले से लागू है. जिसके तहत लोग सोशल रेस्पांसिब्लिटी के लिए सैलरी का 15 से 20 फीसदी निम्न तबके के लोगों की मदद में लगाते हैं.

youngters distributing blanket in purnea
गरीबों की मदद के लिए सामने आ रहे युवा

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Published : Jan 22, 2020, 1:33 PM IST

Updated : Jan 22, 2020, 1:54 PM IST

पूर्णिया: एक तरफ कड़ाके की ठंड के बीच जहां सरकारी सुविधाएं शहर से नदारद हैं. तो वहीं ठंड से ठिठुरते आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद के लिए समाज के युवा सामने आ रहे हैं. किसी तरह ठंड में गुजर-बसर कर रहे लोगों के बीच युवा अलाव, कंबल और कपड़े बांट कर रहे हैं.

सैलरी का 30 फीसदी सोशल रेस्पांसिब्लिटी पर खर्च
जिले के सिपाही टोला इलाके में रहने वाले एक युवक ने बताया कि अखबारों और समाचार चैनलों के माध्यम से उन्हें ठंड से ठिठुरने वाले लोगों की खबर अक्सर ही सुनने को मिलती थी. जिसके बाद उन्होंने अपनी सैलरी का 30 फीसदी सोशल रेस्पांसिब्लिटी पर खर्च करने का सोचा. इसी के तहत ठंड से ठिठुरते लोगों के बीच वे गर्म कंबल बांटते हैं. उन्होंने कहा कि वे पिछले दो महीनों की 30 फीसदी सैलरी इस कार्य में लगा चुके हैं.

गरीबों के लिए कर रहे अलाव की व्यवस्था

महीने में एक दिन बांटते हैं कपड़े
युवक ने बताया कि विदेशों में तो यह बहुत पहले से लागू है. जिसके तहत लोग सोशल रेस्पांसिब्लिटी के लिए सैलरी का 15 से 20 फीसदी निम्न तबके के लोगों की मदद में लगाते हैं. उन्होंने बताया कि बतौर जिम्मेदार नागरिक अपने इसी कर्तव्य को पूरा करने के क्रम में वो ठंड से ठिठुरते लोगों की मदद कर रहे हैं. इसके लिए वे महीने में एक दिन खरीदे गए कंबल रिक्शा चालक, ठेला और ऑटो चालक के साथ ही फुटपाथ के किनारे सोए लोगों के बीच बांटते हैं.

मदद से मिली राहत
कॉलेज रोड इलाके में रहने वाले एक युवा ने बताया कि समाज के संपन्न तबके के साथ ही नौकरीपेशा सभी युवाओं की ये पहली जिम्मेवारी है कि ठंड से ठिठुरते लोगों की मदद करें. उन्होंने कहा कि ये अनुभव उनके लिए नया और ढ़ेर सारी खुशियां देने वाला है. इसी के तहत उन्होंने अपनी सैलरी का 50 फीसदी अलाव में लगाया.

वहीं, इस पर आर्थिक रूप से कमजोर समाज के तबके के लोगों ने कहा कि इस मदद से उन्हें काफी राहत मिली है. उनका कहना है कि अगर समाज का हर संपन्न तबका और युवा अपनी इस जिम्मेदारी को निभाए, तो वह दिन दूर नहीं जब समाज में बंटी आर्थिक खाई पूरी तरह भर जाएगी.

Last Updated : Jan 22, 2020, 1:54 PM IST

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