पटनाःबिहार की राजनीति (Politics Of Bihar) में सत्ताधारी जेडीयू और उसकी सहयोगी बीजेपी के बीच शायद ही कोई ऐसा मुद्दा हो जिस पर दोनों में परस्पर विरोध ना दिखता हो. अब छोड़िये ये बात, ये तो चलता ही रहता है, असल मुद्दे की बात तो जेडीयू से नाराज चल रहे आरसीपी सिंह (suspense On RCP Singh political future) को लेकर करनी है, जिनका राजनीतिक भविष्य बीजेपी से बढ़ती करीबी के कारण डावांडोल नजर आ रहा है. जेडीयू द्वारा राज्यसभा नहीं भेजे जाने के कारण उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा और बीजेपी से नजदीकी के कारण ही पार्टी के कई शीर्ष नेता उनसे नाराज हैं. अब सवाल ये है कि आरसीपी को जेडीयू पार्टी में कोई अहम भूमिका मिलेगी या नहीं, या फिर पार्टी से नाराज चल रहे आरसीपी अपनी कोई नई पार्टी बना लेंगे, या फिर वो बीजेपी में शामिल होने की सोच रहे हैं. जाहिर है इन तमाम विकल्पों में आरसीपी उधर ही जाना चाहेंगे जहां उनको अपना भविष्य ज्यादा उज्जवल नजर आएगा.
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मंत्री बनाने के लिए की पीएम मोदी की तारीफःदरअसल दिल्ली से पटना लौटने के बाद आरसीपी सिंह ने इन तमाम मुद्दों पर कोई निर्णायक जवाब नहीं दिया. सिर्फ यह कह कर चले गए कि अभी वो अपने गांव जा रहे हैं, कार्यकर्ताओं के साथ व्यापक विमर्श के बाद आगे की रणनीति तय करेंगे. मीडिया के लाख पूछे जाने के बावजूद आरसीपी सिंह ने अपने पत्ते नहीं खोले. हां, इतना जरूर कहा कि उन्होंने अपनी मेहनत और ईमानदारी से जेडीयू को काफी आगे बढ़ाया, जमीनी स्तर से पार्टी को खड़ा किया. इस बीच उन्होंने ये भी कह दिया कि पीएम मोदी की कृपा से केंद्र में मैं मंत्री बना, लेकिन उन्होंने एक बार भी सीएम नीतीश कुमार का नाम नहीं लिया और ना ही अपनी सफलता के पीछे पार्टी के तरफ से मिले किसी भी पद का जिक्र किया.
नीतीश कुमार से आरसीपी की दिखी नाराजगीः आरसीपी सिंह जब गुरुवार को पटना एयरपोर्ट पहुंचे तो सैकड़ों की संख्या में उनके समर्थक एयरपोर्ट पर मौजूद थे और आरसीपी सिंह की मुखालफत करने वाले नेताओं के खिलाफ नारेबाजी भी कर रहे थे. इस दौरान आरसीपी सिंह की नीतीश कुमार से नाराजगी साफ दिखी. उन्होंने इशारों ही इशारों में नरेंद्र मोदी की तारीफ भी कर दी. मोदी की ये तारीफ जदयू को नहीं भाई और आनन-फानन में पार्टी के जूनियर प्रवक्ता ने आरसीपी सिंह को अपने बयान के जरिए औकात बताई. जदयू ने आरसीपी सिंह के लिए एक तरीके से लक्ष्मण रेखा खींच दी. संकेत स्पष्ट है कि अब जदयू आरसीपी सिंह को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है और आने वाले दिनों में उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
"हम सीधा आदमी है और हम सीधा चलते हैं. गांव जा रहा हूं वहां रहूंगा. कार्यकर्ता जहां-जहां बुलाएंगे हम जाएंगे. हम हैदराबाद दौरे पर थे. उस दौरान एयरपोर्ट पर उतरे और बाहर कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया. कुछ लोगों ने उसको गलत तरीके से चलाया. बीजेपी में जाने की कोई बात नहीं है. कोई भी नेता कहीं जाता है तो कार्यकर्ता स्वागत करते हैं."- आरसीपी सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री
जेडीयू ने दिया आरसीपी को ये जवाबः जेडीयू के प्रवक्ता अरविन्द निषाद ने आपसीपी पर पलटवार करते हुए कहा कि आरसीपी सिंह को यह कबूल करना चाहिये कि उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कृपा से दो बार राज्यसभा में नामित किया गया. जदयू का राष्ट्रीय महासचिव संगठन और जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. वो जो ये कहते हैं कि उन्होंने सब कुछ अपनी मेहनत से हासिल किया है, ये कथन उनका गलत है. हां यह भी सच है कि वो केन्द्रीय मंत्री अपनी मर्जी से बने. निषाद यहीं नहीं रूके उन्होंने आरसीपी पर तंज कसते हुए कहा कि आपकी सांगठनिक ताकत का दु:खद एहसास तो हर जदयू कार्यकर्त्ता को है कि 2015 में जदयू के विधायकों की संख्या 71 थी, जिसे 2020 में आपने 43 पर पहुंचा दिया.
'भाजपा में शामिल होने की कोई संभावना नहीं':वहीं, जदयू पार्लियामेंट्री बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि फिलहाल आरसीपी सिंह पार्टी में एक कार्यकर्ता हैं लेकिन भविष्य में क्या होगा यह नीतीश कुमार तय करेंगे. उधर, आरसीपी को लेकर जब भाजपा प्रवक्ता आशुतोष झा से पूछा गया तो उन्हेंने कहा कि आरसीपी सिंह भाजपा खेमे में आएंगे इसकी फिलहाल कोई संभावना नहीं दिख रही है वह जदयू के नेता हैं और नीतीश कुमार के नेतृत्व में वह काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम समाज के अंदर केवल राजनीति नहीं करते बल्कि समाज बदलने के लिए राजनीति करते हैं और सेवा भाव से कोई भी हमारी पार्टी में आया है तो उसका हमने हमेशा स्वागत किया है.
"देखिये अभी उनके पार्टी में शामिल होने की कोई अधिकारिक सूचना नहीं मिली है. ये तो राजनीतिक परिस्थिति तय करती है कि आने वाले समय में किसी भी व्यक्ति के बारे में क्या सोचा जाएगा, नहीं सोचा जाएगा. बीजेपी में ऐसा कुछ भी उभर कर सामने नहीं आया है"- आशुतोष झा, भाजपा प्रवक्ता
"आरसीपी सिंह के सामने अब राजनीति में सीमित विकल्प हैं. पहला तो वह जदयू के अंदर ही रहकर संघर्ष करें या फिर नई पार्टी बना कर अपने राजनीतिक वजूद को कायम करें. नीतीश कुमार के एनडीए में रहते हुए आरसीपी सिंह की इंट्री बीजेपी में मुश्किल है, क्योंकि 2024 के चुनाव तक बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व नीतीश कुमार से बेहतर रिश्ता बनाए रखना चाहती है"- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार
आरसीपी के राजनीतिक भविष्य को लेकर सस्पेंस:आपको बता दें कि जेडीयू में आरसीपी सिंह को लेकर विरोधाभास है. पार्टी के तमाम शीर्ष नेता उनसे नाराज चल रहे हैं. हालांकि उनके अपने गुट के समर्थक आज भी उनके साथ हैं, वहीं ललन गुट के नेता और कार्यकर्ता उनपर लगातार निशाना साध रहे हैं. चाहे वो खुद ललन सिंह हों या जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा दोनों ही आरसीपी सिंह पर लगातार हमलावर रहते हैं. वहीं, आरसीपी भी राज्यसभा नहीं भेजे जाने से पार्टी से नाराज दिख रहे हैं. दरअसल, आरसीपी सिंह का राज्यसभा में बतौर सांसद कार्यकाल 7 जुलाई को खत्म हो गया है. बिना सांसद रहे कोई भी व्यक्ति अधिक से अधिक 6 महीने तक ही मंत्री रह सकता है. जेडीयू ने उन्हें राज्यसभा सांसद नहीं बनाया और खीरू महतो को जेडीयू ने राज्यसभा पहुंचाया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद अब आरसीपी सिंह पार्टी में किस भूमिका में होंगे इस पर पार्टी के वरिष्ठ नेता भी फिलहाल खुलकर बोलने से बच रहे हैं. खुद आरसीपी ने भी भविष्य में अपने किसी फैसले की ओर इशारा नहीं किया है.