पटना: देश की आजादी या सीमा पर तैनात वीर योद्धाओं की बात हो तो सारण का नाम आ ही जाता है. 1999 में पाकिस्तान के साथ जो कारगिल युद्ध (Kargil War) हुआ था, उसमें सारण के वीर सपूत विष्णु राय (Martyr Vishnu Rai) ने अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन, 22 साल पहले कारगिल की लड़ाई में देश के लिए कुर्बान होने वाले इस वीर सपूत विष्णु राय की शहादत पर दो फूल चढ़ाने के लिए शहीद की प्रतिमा अभी तक नहीं बन पाई है.
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सारण जिले के मकेर प्रखंड के बथुई गांव के वीर सपूत शहीद विष्णु राय ने कारगिल की लड़ाई में देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे. सरकार ने विष्णु की शहादत को अपनी कोरी घोषणाओं से ही श्रद्धांजलि दी थी. शहादत के बाद की गई सारी घोषणाओं ने शहीद के परिवार को सिर्फ घाव देने का ही काम किया है. 22 साल गुजर गए, राहत के नाम पर मात्र एक पेट्रोल पंप मिला, वह भी जैसे-तैसे चलता है.
शहीद की पत्नी सुशीला देवी ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि 1999 की बातों को यादकर आज भी शरीर कांप जाता है. उन्होंने कहा कि जब मेरे पति का शव आया था, तो उस समय ना जाने कितने नेता और अधिकारी आए थे. यहां तक कि लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी भी पहुंचे थे और कई तरह की घोषणाएं करके चले गए. लेकिन, आज तक उसको अमलीजामा पहनाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.
शहीद की पत्नी अपने बेटे और बेटी को अच्छी शिक्षा दिलवाने के लिए शहर में भाड़े का रूम लेकर गुजर बसर करने को मजबूर हैं. पटना में शहीद विष्णु की पत्नी भाड़े के मकान में रहकर अपने बेटे और बेटी को पढ़ाती हैं. हालांकि, बेटे ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर ली है, लेकिन जॉब की इतनी किल्लत होने के कारण वह घर में इन दिनों बैठकर तैयारी कर रहा है. सरकार के द्वारा जो आश्वासन दिया गया था कि बेटे को नौकरी दी जाएगी, वो 22 साल बाद भी पूरा होते नहीं दिख रहा है.
''पटना में मकान बनाने के लिए जमीन मुहैया कराने की बात कही गई थी. बथुई गांव को शहीद विष्णु राय के नाम पर करने की घोषणा की गई थी. गांव की सड़क को पक्की करवाकर उसका नाम शहीद विष्णु राय पथ करना था. मकेर के महावीर चौक पर शहीद की प्रतिमा लगाना और चौक का नाम कारगिल चौक करना था. लेकिन, ये घोषणाएं तो केवल हवा हवाई ही निकली.''- सुशीला देवी, शहीद की पत्नी
''सरकार ने जो वादा किया गया था उसके तहत अगर मकेर चौक पर पिताजी की एक प्रतिमा लग जाती, तो आज की तारीख में जो नौजवान देश की सेवा करने के लिए तैयारी कर रहे हैं, उनको देखकर गौरवान्वित महसूस करते. सरकार के जितने भी नुमाइंदे पहुंचे थे, उनके द्वारा जो वादा किया गया था वह आज तक पूरे नहीं हो पाए हैं. ऐसे में सरकार से क्या उम्मीद की जा सकती है.''- रवीश राज, शहीद विष्णु राय के बेटे
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बता दें कि देशभर में 26 जुलाई को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तान की नापाक हरकतों को खत्म करते हुए सियाचीन और द्रास सेक्टर पर अवैध कब्जे की कोशिश को नाकाम कर दिया था. हालांकि, इस लड़ाई में देश के कई वीर जवान शहीद हो गए. लेकिन इस युद्ध के 22 साल बाद भी इन जवानों के परिजनों से जो वादा किया गया था, उसे आज तक पूरा नहीं किया गया है.