पटना: बिहार के वित्तीय प्रबंधन का लोहा देश मानती है. विकास दर के मायने में पिछले कई सालों से बिहार ने बेहतर प्रदर्शन किया है. ग्रोथ रेट लगातार 10% के पार है. कोरोना संकट काल में बिहार सरकार बजटपेश करेगी. बजट से जहां आम लोगों को उम्मीदें हैं, वहीं पिछले बजट का बड़ा हिस्सा अब तक खर्च नहीं हो पाया है.
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इस बार राज्यांश में कमी आने की संभावना
पिछले 10 साल के दौरान बजट के आकार में भारी वृद्धि हुई है. आंकड़ा दो लाख करोड़ के ऊपर पहुंच चुका है. इस बार सुशील मोदी की गैर मौजूदगी में बिहार बजट पेश होना है. कोरोना संकट को देखते हुए इस बार का बजट जहां सरकार के लिए चुनौती है. वहीं प्रवासी मजदूर और रोजगार को लेकर आम लोगों की आकांक्षाएं भी हैं. साल 2010-11 में जहां बिहार का बजट 51000 करोड़ का था. वहीं साल 2020-21 में बिहार का बजट बढ़ कर दो लाख 11,000 करोड़ का हो गया.
बजट का बड़ा हिस्सा नहीं हुआ खर्च
बिहार सरकारने सबसे अधिक खर्च शिक्षा पर 35191 करोड़, ग्रामीण विकास पर 17345 करोड़, वेलफेयर पर 15955 करोड़, स्वास्थ्य पर 11911 करोड़ और पंचायती राज पर 10937 करोड़ बजट का प्रावधान किया था. लेकिन बिहार सरकार ने बजट का बड़ा हिस्सा अब तक खर्च नहीं किया. बजट का 50% से अधिक का हिसाब तक खर्च नहीं हो पाया है. हालांकि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मार्च तक राशि का उपयोग कर लिया जाएगा.
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कर्मचारियों के वेतन मद का आकलन
सात निश्चय योजना पर सरकार का सबसे अधिक जोर है. हर घर नल का जल और नली-गली योजना का आब तक 70 से 80% कार्य पूरा हो सका है. विभाग के मंत्री का कहना है कि मार्च से पहले काम पूरा कर लिया जाएगा और भ्रष्टाचार में जो कोई भी संलिप्त पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी और रिकवरी का भी प्रावधान है. जहां तक बजट का सवाल है तो, सरकार के अधिकारी अक्टूबर महीने के अंत से बजट बनाने की प्रक्रिया में जुट जाते हैं. हर विभाग को एक प्रपत्र सौंपा जाता है. जिसे भरकर वह वित्त विभाग के पास भेजते हैं. इसके बाद कर्मचारियों के वेतन मद का आकलन होता है.