पटना: चैत्र नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की अराधना की जाती है. देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि स्कंदमाता प्रेम और वात्सल्य की देवी हैं. मान्यता है कि संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण करने के लिए दंपत्तियों को इस दिन सच्चे मन से मां के इस स्वरूप की पूजा करनी चाहिए.
स्कंदमाता का मंत्र
सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
देवी के 5वें रूप को क्यों कहा जाता स्कंदमाता
स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय यानि स्कंद जी की मां हैं इसलिए दुनिया माता के इस स्वरूप को स्कंदमाता कहकर बुलाती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, स्कंदमाता को पहाड़ों पर रहकर दुनिया के जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वाली देवी कहा जाता है.
पौराणिक कथाओं की मान्यता
पौराणिक कथाओं के अनुसार स्कंदमाता को दुनिया की रचियता कहा जाता है और जो भी सच्चे मन से मां की पूजा और अराधना करता है तो माता उसे प्रसन्न होकर मन इच्छा फल देती है. कथाओं के अनुसार स्कंदमाता को सफेद वस्त्र बेहद प्रिय हैं और वह सदैव कमल पर विराजमान रहती है.
इस रंग के कपड़े पहने
नवरात्रि के पांचवे दिन सफेद रंग पहनना अच्छा होता है. इस रंग की धार्मिक मान्यता भी है. ब्रह्मा जी को सफेद रंग प्रिय है. ब्रह्मा जी सफेद वस्त्र धारण करते हैं, जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि ब्रह्म, यानी ईश्वर सभी लोगों के प्रति समान भाव रखते हैं. सफेद रंग पारदर्शिता और कोमलता का भी प्रतीक है.
मां को लगाएं शहद का भोग
मां को केले व शहद का भोग लगाएं व दान करें. इससे परिवार में सुख-शांति रहेगी और शहद के भोग से धन प्राप्ति के योग बनते हैं.