पटना: मुकेश सहनी की वीआईपी और भाजपा के बीच ठन गई है. भाजपा ने मुकेश सहनी को एनडीए (Mukesh Sahani issue in NDA) से बाहर करने का फैसला ले लिया है. तीनों विधायकों के टूट के बाद मुकेश सहनी के लिए मंत्रिमंडल में बने रहना आसान नहीं है. मुकेश सहनी को भाजपा से दुश्मनी मोल लेना महंगा पड़ा. यूपी चुनाव संपन्न होते ही भाजपा ने उनके तीनों विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया. बदली हुई परिस्थितियों में मुकेश सहनी पर मंत्रिमंडल से इस्तीफे के लिए दबाव बन रहा है. नीतीश और जेपी नड्डा की मुलाकात ( JP Nadda and Nitish met in Lucknow ) के बाद जेडीयू के सुर भी बदले बदले से नजर आ रहे हैं. मुकेश सहनी के प्रकरण पर जेडीयू नेता भी मुखर हो गए हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि मुकेश सहनी का मंत्री पद से जल्द इस्तीफा देंगे.
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'पशुपालन मंत्री मुकेश सहनी कोई हमारे कोटे से मंत्री तो बने नहीं हैं. बीजेपी अपना समझे. इसपर फैसला बीजेपी को ही लेना है. भारतीय जनता पार्टी के लीडर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से क्या बात करता है इसपर कुछ कहा नहीं जा सकता'- अशोक चौधरी, भवन निर्माण मंत्री
जेडीयू ने भी बनाई मुकेश सहनी से दूरी: जदयू नेता और भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा है कि मुकेश सहनी का गठबंधन जदयू के साथ नहीं है. मुकेश साहनी का गठबंधन भाजपा के साथ है और उनके मसले पर फैसला भाजपा को ही लेना है. भाजपा के शीर्ष नेता और मुख्यमंत्री के बीच मुलाकात के बाद मुकेश सहनी के मसले पर फैसला लिया जाएगा. वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी का मानना है कि मुकेश सहनी को आने वाले एक-दो दिनों में इस्तीफा देना पड़ सकता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेपी नड्डा के बीच मुलाकात में इस बात पर फैसला ले लिया गया होगा कि NDA नेता मुकेश सहनी को मंत्रिमंडल से तो बाहर तो करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें शहीद का दर्जा देना नहीं चाहते. इस वजह से रोड मैप पर विमर्श चल रहा होगा.