पटना:बिहार के दवा व्यवसायी एक बार फिर से आंदोलन के मूड में है. औषधि नियंत्रण विभाग की ओर से लगातार दवा दुकानों में छापेमारी की जा रही है. इससे तंग आकर दवा व्यवसायी सड़क पर उतरकर आंदोलन को उतारू हो गए हैं. चरणबद्ध तरीके से सरकार के खिलाफ विरोध जताने की तैयारियों में जुटे है. मिली जानकारी के मुताबिक आगामी 1 जुलाई से पटना स्थित गोविंद मित्रा रोड पर सभी दवा व्यवसायी जुलूस निकालकर प्रदर्शन करेंगे.
बताया जाता है कि केंद्रीय नियमानुसार फार्मेसी एक्ट 1948 के तहत खुदरा और थोक दवा दुकानों में फार्मासिस्ट की अनिवार्यता है. लेकिन, बिहार में दवा दुकानों की अपेक्षा फार्मासिस्ट की उपलब्धता कम है. इस कमी को दूर करने के लिए सभी दवा व्यवसायी संघों ने केंद्र और राज्य सरकार से कई बार लिखित गुहार लगाई है. लेकिन, इसका कोई ठोस समाधान नहीं हुआ है.
बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन महासचिव का बयान दूसरे राज्यों में नहीं है समस्या
बता दें कि फार्मेसी संस्थानों को भी विकसित नहीं किया गया है. जिस कारण आज यह समस्या विकराल बनती जा रही है. गौरतलब है कि देश के दूसरे राज्यों में काफी पहले फार्मेसी संस्थानों को विकसित कर दिया गया था. जिससे दूसरे जगहों पर फार्मासिस्ट की कोई समस्या नहीं है. यहां तक कि पड़ोसी राज्य झारखंड में भी पिछले साल लगभग 50 और उत्तर प्रदेश में लगभग 300 संस्थानों को मान्यता दी गई.
चरणबद्ध आंदोलन का खाका:
- 1 जुलाई 2019 से सभी दुकानदार शांतिपूर्ण तरीके से करेंगे विरोध प्रदर्शन और जिलाधिकारी को सौंपेंगे ज्ञापन
- आगामी 20 जुलाई 2019 से जिला के सभी थोक दवा विक्रेता निर्माता कंपनियों से किसी भी प्रकार की दवाओं की खरीद अगले निर्णय तक बंद करेंगे
- दिनांक 16 अगस्त 2019 से जिला के सभी खुदरा दवा विक्रेता निर्माता कंपनियों से किसी प्रकार की दवाओं की खरीद अगले निर्णय तक बंद करेंगे
- आगामी 1 सितंबर 2019 से जिला के सभी वितरक थोक एवं दवा दुकानें अनिश्चितकालीन तक बंद हो जाएंगी