पटना: बिहार में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 300 के पार पहुंच गई है. अब तक के अध्ययन से पता चला है कि इनमें से 75 प्रतिशत से ज्यादा मरीजों में कोरोना के कोई प्रारंभिक लक्षण नहीं थे. वहीं कोई लक्षण नहीं दिखाने वाले मरीज यानि कोरोना कैरियर्स कई लोगों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 200 के करीब ऐसे मरीज हैं जिनमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं थे. लेकिन जांच रिपोर्ट में यह पुष्टि हुई कि वे कोरोना से संक्रमित हैं. बाद में उन्हें क्वारंटाइन किया गया. इनमें से महज कुछ ही मरीज ऐसे निकले जिन्हें कोई गंभीर परेशानी हुई और उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी. इससे साफ पता चलता है कि ऐसे मरीजों की संख्या ज्यादा है जो बिल्कुल स्वस्थ हैं. उनमें इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं हैं और ना ही उन्हें कोई परेशानी है. यानी उन्हें खुद पता नहीं कि वह कोरोनावायरस से संक्रमित हैं.
यंग जेनरेशन हुआ है संक्रमित
इस बारे में ह्रदय और छाती रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विजय कुमार सिन्हा बताते हैं कि बिहार में ऐसे मरीजों की संख्या ज्यादा है. इसके पीछे एक बड़ी वजह यह है कि बिहार का एक खास वर्ग जो लगभग 35 वर्ष या इसके आसपास का है वह रोजगार के लिए राज्य से बाहर काम करता है. ये लोग इस वायरस से सबसे ज्यादा एक्सपोज्ड हुए हैं. लेकिन प्रतिरोधक क्षमता बढ़िया होने के कारण उन पर इस वायरस का ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है. इस कारण उनमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखते. डॉ सिन्हा कहते हैं कि यह एक तरह से उस व्यक्ति के लिए अच्छी बात है कि उसकी स्थिति गंभीर नहीं हो रही है. लेकिन ऐसे संक्रमित लोग दूसरों के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं. उन्होंने बताया कि ऐसे लोग अगर अन्य व्यक्तियों के संपर्क में आते हैं जो बुजुर्ग हैं या जिन्हें कोई गंभीर बीमारी है तो कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है.
सिविल सर्जन रखते हैं अलग राय
इस बारे में पटना के सिविल सर्जन डॉक्टर राजकुमार चौधरी कुछ अलग राय रखते हैं. उनका कहना है कि हमारे देश के क्लाइमेट और यहां की परिस्थितियों की वजह से ही अन्य देशों की तुलना में हमारे यहां कोरोनावायरस के कारण स्थिति विस्फोटक नहीं हुई. डॉ चौधरी ने बताया कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होने के कारण ज्यादातर लोगों में संक्रमण के लक्षण नहीं दिखते. साथ ही जब तक ऐसे लोग किसी अन्य व्यक्ति के क्लोज कांटेक्ट में नहीं आते तब तक इसका संक्रमण किसी और में फैलने की संभावना नहीं है.
कितने खतरनाक हैं कोरोना कैरियर्स
बता दें कि कोरोनावायरस पर लगातार रिसर्च जारी है. पूरे देश में कई जगहों पर अलग-अलग तरह से कोरोना पर रिसर्च चल रहा हैं. इसके इलाज के साथ-साथ इसका टीका विकसित करने की भी कोशिश की जा रही है. वहीं कोरोनावायरस के टाइप को लेकर भी कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. ऐसे में यह एक बहस का मुद्दा है कि प्रारंभिक लक्षण नहीं दिखाने वाले मरीज (कोरोना कैरियर्स) आने वाले वक्त में अन्य लोगों के लिए कितना बड़ा खतरा बन सकते हैं.