पटनाःलॉकडाउन ने पहले ही किसानों की कमर तोड़ रखी है. इस बीच फरवरी, मार्च और अप्रैल के बाद मई में भी बेमौसम बरसात, ओलावृष्टि और आंधी तूफान ने किसानों की परेशानी और बढ़ा दी है. हालांकि रबी की फसल कट चुकी है, फिर भी जिन किसानों की फसल काटने के बाद भी खेतों में रहने के कारण फसल बर्बाद हुई है. वह भी सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं. सरकार किसानों की मदद के लिए क्या कर रही है. यह जानने की कोशिश हमने कृषि मंत्री प्रेम कुमार से की.
लॉकडाउन ने तोड़ी किसानों की कमर
किसान एक तरफ कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन की मार से उबरे नहीं थे, कि बेमौसम हर महीने हो रही बरसात ने उनकी परेशानी में और इजाफा कर दिया. हालांकि सरकार की तरफ से यह दावे किए जाते रहे हैं कि किसानों को कृषि इनपुट-अनुदान और फसल क्षति की भरपाई उनके अकाउंट में पैसे भेज कर की जा रही है. फरवरी-मार्च के बाद अप्रैल और मई महीने में भी बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि हुई है.
बेमौसम बारिश से किसानों को हो रही परेशानी
इस बारे में कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में कहा कि 3 लाख से ज्यादा किसानों के खाते में कृषि इनपुट-अनुदान के तौर पर 105 करोड़ रुपये की राशि सरकार भेज चुकी है. जिन किसानों ने बाद में आवेदन दिया है उनके आवेदन की भी जांच चल रही है. जिनके डिटेल्स सरकार के पास हैं, उन्हें सरकार की तरफ से हरसंभव सहायता की जा रही है. फसल क्षति का अनुमान लगाकर भी सरकार प्रति हेक्टेयर के हिसाब से किसानों को ऑनलाइन अनुदान दे रही है.
'किसानों के खाते में भेजे जा चुके 105 करोड़ रुपये'
किसानों की जानकारी के लिए बता दें कि सरकार ने कम से कम 35 फीसदी नुकसान की एक सीमा तय कर रखी है. यानी जहां 33 फीसदी तक नुकसान हुआ है. सरकार उसकी भरपाई करती है. सरकार की ओर से प्रति हेक्टेयर 13 हजार 500 रुपये ऐसे किसानों को जहां कृषि आधारित सिंचित प्रणाली है और 6800 प्रति हेक्टेयर ऐसी जगह पर जहां वर्षा आधारित कृषि होती है. सरकार अधिकतम 2 हेक्टेयर तक किसानों को अनुदान उनके खाते में दे रही है. कृषि मंत्री का दावा है कि अब तक 105 करोड़ रुपए की राशि किसानों के खाते में भेजी गई है.