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ये हैं कोरोना योद्धाओं के कुशल नेतृत्वकर्ता, जिनकी वजह से अब तक बचा है बिहार

कोरोना संक्रमण काल में बिहार के कुछ कोरोना योद्धाओं ने बेहतरीन लीडर की भूमिका अदा की. उन्होंने इस विपदा की घड़ी में जन सुरक्षा के लिए अपने जान की बाजी लगा दी और टीम का कुशल नेतृत्व किया.

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Published : Jun 15, 2020, 8:08 PM IST

पटना:बिहार में कोरोना वायरस के कहर जारी है. ताजा आंकड़ा साढ़े 6 हजार से ज्यादा हो चुका है. बढ़ते कोरोना संक्रमण के साथ सरकार की चिंता बढ़ी हुई है. प्रवासियों के आगमन के बाद से कोरोना संक्रमितों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. बिहार सरकार हालात पर काबू पाने के लिए जद्दोजहद कर रही है.

प्रदेश में कोरोना के खिलाफ चल रही जंग में कुछ कोरोना योद्धाओं की भूमिका अहम रही है. जिन्होंने अपने कुशल नेतृत्व से कोरोना संक्रमण के बीच जमीन पर लड़ाई लड़ रही टीम का दिन-रात तत्परता से नेतृत्व किया. इन्होंने अपने जान की परवाह किए बगैर बिहार में कोरोना संकट को रोकने के लिए तमाम कोशिशें की. इन कुशल नेतृत्वकर्ताओं में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे, पटना सिविल सर्जन आर के चौधरी और एनएमसीएच अधीक्षक डॉ. निर्मल कुमार सिन्हा का नाम उल्लेखनीय है.

देखें पूरी रिपोर्ट

कोरोना पर काबू के लिए लॉकडाउन
कोरोना वायरस से लड़ाई आसान नहीं है. शुरुआती दौर में लोग कोरोना वायरस से खौफ खाते थे. खौफ इस कदर था कि डॉक्टर भी अपने हाथ पीछे खींचने लगे थे. वैसी परिस्थिति में लॉकडाउन किया गया. लॉकडाउन के कारण हालात पर कुछ हद तक काबू पाया जा सका. लेकिन इस बीच कुछ लीडर कोरोना योद्धा की भूमिका में दिखे. उन्होंने अपनी जान से पहले जनसरोकार को तरजीह दी और लोगों की रक्षा के लिए उतरे.

24x7 मुस्तैद रहे स्वास्थ्य मंत्री
कोरोना महामारी में सबसे बड़ी जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की रही. विभाग लगातार अलर्ट होकर काम कर रहा है. हालांकि इस दौरान कई तरह की चूक भी हो जा रही है. लेकिन कोरोना संकटकाल में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने एक कुशल नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाई और जिम्मेदारियां ली.

मंगल पांडेय, स्वास्थ्य मंत्री

रोजाना कार्यालय पहुंचे मंगल पांडेय
लॉकडाउन के दौरान भी स्वास्थ्य मंत्रालय खुला रहा. सारे कर्मी बगैर छुट्टी लिए ड्यूटी बजाते रहे. यहां तक कि स्वास्थ्य मंत्री भी हर रोज दफ्तर आए और कोरोना से लड़ाई में योद्धा की तरह काम किया. पूछने पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री जब इस लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, तब एक सेना की तरह हम भी उनके साथ कदम मिलाकर चल रहे हैं.

खुद कंटेंनमेंट जोन में पहुंचे गुप्तेश्वर पांडे
मालूम हो कि कोरोनाकाल में लॉकडाउन के क्रियान्वयन का जिम्मा पुलिस महकमे पर था. पुलिस मुख्यालय भी लॉकडाउन के दौरान तत्पर दिखा. नेतृत्वकर्ता की भूमिका में डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे रहे. उन्होंने कोरोना संक्रमण के दौर में पुलिसकर्मियों का लगातार हौसला अफजाई किया और खुद सड़कों पर उतरकर कंटेंनमेंट जोन में निरीक्षण करते नजर आए.

गुप्तेश्वर पांडे, डीजीपी

कुशल लीडर का काम है टीम का मनोबल बढ़ाना- डीजीपी
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान गुप्तेश्वर पांडे ने कहा था कि हमारे पुलिसकर्मी जब जान पर खेलकर ड्यूटी कर रहे हैं तो वैसे ही स्थिति में मैं कैसे पीछे रहता. उन्होंने आगे कहा था कि एक कुशल लीडर का यही काम होता है कि वह टीम का मनोबल मजबूत करे. मेरी टीम को मेरी जरूरत है और मैं उनके साथ खड़ा हूं.

एनएमसीएच बना कोविड अस्पताल
इस कोरोना काल में सरकार ने पटना के एनएमसीएच अस्पताल को कोविड अस्पताल के रूप में विकसित किया. अस्पताल संचालन और कोरोना संक्रमितों को मैनेज करने का जिम्मा एनएमसीएच अधीक्षक डॉ. निर्मल कुमार सिन्हा के कंधों पर है. खतरों के बावजूद निर्मल कुमार सिन्हा डरे नहीं. उन्होंने मुस्तैदी से कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज किया. डॉक्टर सिन्हा बताते हैं कि शुरुआती दौर में थोड़ा डर जरूर लगा था. लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो गया.

निर्मल कुमार सिन्हा, एनएमसीएच अधीक्षक

अस्वस्थ होने के बाद में ड्यूटी पर थे सिविल सर्जन
वहीं, इन सभी के अलावा पटना के सिविल सर्जन आर के चौधरी ने एक तरीके से मिसाल कायम की. डॉ. आर के चौधरी शारीरिक रूप से अस्वस्थ हैं. उनका एक हाथ टूटा हुआ है. इसके बावजूद भी उन्होंने अपनी परवाह किए बगैर लगातार ड्यूटी की और अब भी कर रहे हैं. डॉक्टर चौधरी बताते हैं कि ड्यूटी के दौरान मुझे कभी भी डर नहीं लगा. वे लगातार सावधानी बरत रहे हैं और अपने दांये हाथ के बल पर काम कर रहे हैं.

आर के चौधरी, सिविल सर्जन

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