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भगवान विष्णु के शालिग्राम अवतार और माता तुलसी की हुई पूजा, लोगों ने की सुख शांति की कामना

चार माह के चौमासा बीतने के बाद देवोत्थान एकादशी का पर्व मनाया जाता है. इसे देव उठनी एकादशी और देव प्रबोधिनी एकादशी (Dev Prabodhini Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. इसी दिन तुलसी का विवाह शालिग्राम से हुआ था.

तुलसी का विवाह
तुलसी का विवाह

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Published : Nov 15, 2021, 6:36 PM IST

पटना: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है. देव प्रबोधिनी एकादशी (Dev Prabodhini Ekadashi) के दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम अवतार और माता तुलसी की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है. मसौढ़ी में धूमधाम से तुलसी माता का और भगवान शालिग्राम की पूजा-अर्चना (Worship of Lord Shaligram) की गयी. इस दौरान श्रद्धालुओं ने लोगों के सुख शांति की कामना की.

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कार्तिक मास के एकादशी को देवोत्थान या तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है. जिसकी कई पौराणिक मान्यताएं हैं बताया जाता है कि चारों लोक को परेशान कर रहे एक दानव का वध कर भगवान विष्णु योग निद्रा में चले गये थे और आज के ही दिन भगवान विष्णु यानी शालिग्राम महाराज जागते है. जिससे आज के दिन को उत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को शालिग्राम और तुलसी माता का विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के चारों ओर ईख का मंडप बनाकर पूजा-अर्चना की जाती है.

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गौरतलब है कि पटना के ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से तुलसी विवाह का आयोजन किया जा रहा है. दाम्पत्य जीवन को सुखद और वैवाहिक समस्याओं के निदान को लेकर आज के दिन सभी लोग तुलसी विवाह की कथाओं को सुनते हैं. मसौढ़ी के बडी ठाकुरबाड़ी मंदिर में धूमधाम से तुलसी विवाह का आयोजन किया गया. जहां सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आयी. श्रद्धालु अपने दांपत्य जीवन की सुखद कामना के लिए भगवान शालिग्राम और तुलसी माता की पूजा अर्चना करते दिखे.

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