पटना:बिहार समेत पूरे देश में इन दिनों साइबर अपराधी काफी एक्टिव हो गए हैं. नए तरीकों को इजाद कर आम इंसान की गाढ़ी कमाई के साथ-साथ उन्हें धमकाने का काम किया जा रहा है. साइबर अपराधी इन दिनों वर्चुअल नंबर का उपयोग कर लोगों को परेशान कर उनसे पैसे ऐंठने का काम कर रहे हैं. वर्चुअल नंबर के माध्यम से लोगों को परेशान करने के दो नए मामले बिहार में सामने आए हैं.
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जमुई में वर्चुअल नंबर से साइबर फ्रॉड
पहले मामले में जमुई जिले के रहने वाले गौरी शंकर पाठक जो कि आईसीआईसीआई बैंक में कार्यरत हैं. उनके परिवार के सदस्य का गंदा फोटो उनके व्हाट्सएप नंबर पर भेजकर उनके साथ गाली गलौज और पैसे की मांग की जा रही है. उन्होंने स्थानीय थाने में इस मामले को लेकर शिकायत दर्ज करवाई है. इस मामले की छानबीन आर्थिक अपराध इकाई द्वारा की जा रही है.
जमुई में वर्चुअल नंबर से साइबर फ्रॉड सीतामढ़ी मेंवर्चुअल नंबर से साइबर फ्रॉड
दूसरे मामले में सीतामढ़ी जिले के रहने वाली सपना कुमारी अपने परिवार के साथ रहती हैं. 20 फरवरी को उनके मोबाइल फोन पर वर्चुअल नंबर के माध्यम से मैसेज कर उनके साथ गाली गलौज कर उनके बच्चों को किडनैप करने की धमकी दी जा रही है. उसके एवज में साइबर फ्रॉड पैसे की मांग कर रहे हैं.
नए-नए तरीकों से साइबर फ्रॉड नए-नए तरीकों से साइबर फ्रॉड
आर्थिक अपराध इकाई साइबर एक्सपर्ट अभिनव सौरव की मानें तो इन दिनों साइबर फ्रॉड या साइबर क्रिमिनल नए-नए तरीकों को इजाद कर लोगों को ठग रहे हैं और परेशान कर रहे हैं. साइबर क्रिमिनल ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करते हैं, जिसकी वजह से वो पकड़ा ना जा सकें. जो चीजें लोगों की भलाई हेतु बनाई गई हो उसका गलत उपयोग कैसे किया जा सके यह अगर सीखना है तो साइबर क्रिमिनल या साइबर फ्रॉड से सीखें.
वर्चुअल नंबर से साइबर फ्रॉड ''नॉर्मल नंबर के तरह ही वर्चुअल नंबर होता है. ये तब उपयोग किया जाता है जब कोई व्यक्ति विदेश जाता है. या फिर फॉरेन कंट्री से कोई व्यक्ति भारत आता है, तब अपने परिवार के सदस्यों के कांटेक्ट में रहने के लिए इस नंबर को इंटरनेट के माध्यम से ले सकता है. इन्हीं वर्चुअल नंबर का उपयोग साइबर क्रिमिनल इन दिनों लोगों को परेशान कर रहे हैं''- अभिनव सौरव, साइबर एक्सपर्ट, आर्थिक अपराध इकाई
अभिनव सौरव, साइबर एक्सपर्ट वर्चुअल नंबर से किया जा रहा परेशान
बता दें कि वर्चुअल नंबर आम नंबर से बिल्कुल अलग होता है. इन्हीं, वर्चुअल नंबर का उपयोग कर साइबर क्रिमिनल आम लोगों को परेशान कर उनके परिवार के सदस्यों को गंदी फोटो भेज कर ब्लैकमेल कर रहे हैं. जिसकी एवज में वो पैसे की भी मांग कर रहे हैं. साइबर एक्सपर्ट अभिनव सौरभ की मानें तो ये ऐसा नंबर है जिसको ट्रेस करना बहुत ही मुश्किल है.
मोबाइल के जरिए साइबर क्राइम साइबर क्रिमिनल को पकड़ना बड़ी चुनौती
साइबर एक्सपर्ट अभिनव सौरव ने बताया कि हर कंट्री का अपना नियम कानून होता है. ये उन पर डिपेंड करता है कि उस वर्चुअल नंबर के बारे में वो हमें कितनी इन्फॉर्मेशन देते हैं. जिसकी वजह से ऐसे लोगों को पकड़ पाना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है. जांच के दौरान ये बात सामने आई है कि वर्चुअल नंबर का उपयोग कर लोगों को ठगने या डराने वाले जो लोग हैं, वो कोई बड़े साइबर क्रिमिनल नहीं है. बल्कि 10वीं और 12वीं में पढ़ने वाले बच्चे हैं. जो सही गाइडेंस नहीं मिलने की वजह से रास्ते से भटक गए हैं.
ऐसे लगाएंवर्चुअल नंबर का पता
साइबर एक्सपर्ट अभिनव सौरव ने बताया कि जब भी किसी व्यक्ति के मोबाइल पर व्हाट्सएप कॉलिंग या व्हाट्सएप मैसेज आता है, तो उस नंबर पर कॉल करें. अगर उस नंबर पर नॉर्मल कॉलिंग नहीं होती है, तो वो वर्चुअल नंबर है. प्लस 1, प्लस 2, प्लस 9 से नंबर शुरुआत होता है. ऐसे कॉल सिर्फ व्हाट्सएप मैसेज या व्हाट्सएप कॉलिंग के जरिए आते हैं. किसी एप्लीकेशन के माध्यम से कॉल आ रहा है तो लोगों को काफी सतर्क रहने की जरूरत है.
मोबाइल के जरिए साइबर क्राइम
दिल्ली से आए साइबर एक्सपर्ट नवीन ने बताया कि इन दिनों जिस तरह से आम लोग डिजिटाइजेशन की ओर लगातार बढ़ रहे हैं डिजिटल वर्ल्ड हो रहा है और आम इंसान के हाथों में मोबाइल फोन अब नॉर्मल हो गया है. जिसका फायदा उठाकर साइबर क्रिमिनल लोगों को परेशान कर रहे हैं. नॉर्मल क्राइम के साथ-साथ साइबर क्राइम में भी मोबाइल की इंवॉल्वमेंट बढ़ गई है.
''मोबाइल फोन के डाटा को खंगाल कर ही साइबर एक्सपर्ट किसी मामले का अनुसंधान करने में कामयाबी हासिल करते हैं. नॉर्मल क्राइम करने वाले क्रिमिनल और साइबर क्रिमिनल क्राइम करने के बाद कुछ ना कुछ फुटप्रिंट जरूर छोड़ते हैं. जिसके आधार पर ही हमें किसी केस को अनुसंधान करने में कामयाबी हासिल करते हैं'' नवीन, साइबर एक्सपर्ट
साइबर फ्रॉड से बचने के लिए आर्थिक अपराध इकाई की ओर से कई अभियान चलाकर आम लोगों को सतर्क किया जा रहा है. इसके बावजूद साइबर फ्रॉड बिहार सहित पूरे देश में रुकने का नाम नहीं ले रहा है. अगर हम थोड़ी सावधानी बरतें तो साइबर ठगों के मंसूबों पर पानी फेर सकते है.