पटना:भारतीय जनता पार्टी के बाद राजनीतिक दल के तौर पर भाकपा माले ने मिशन 2024 का बिगुल फूंक दिया है. ऐतिहासिक गांधी मैदान में रैली कर भाकपा माले ने शक्ति प्रदर्शन कर अपने मंसूबे जाहिर कर दिए. सीमांचल की रैली से पूर्व बड़ी रैली कर भाकपा माले ने राजद और जदयू के लिए भी चुनौती पेश कर दी है.
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पीएम पद को लेकर भाकपा माले का नीतीश को समर्थन नहीं: महागठबंधन के घटक दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने मिशन 2024 का आगाज कर दिया. भाकपा माले ने गांधी मैदान में बड़ी रैली कर सबको चौंका दिया. पार्टी ने शक्ति प्रदर्शन कर जहां एक ओर विरोधियों को चेताया तो वहीं दूसरी तरफ सहयोगियों को भी यह संदेश दे दिया कि चुनाव में उनकी पार्टी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. इस दौरान भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि बीजेपी से लड़ने के लिए सभी विपक्षी दलों को एक साथ आना होगा. वहीं विपक्ष के चेहरे के सवाल पर उन्होंने कहा कि विपक्ष के बहुत से चेहरे हैं.
20 साल बाद CPIML ने दिखायी ताकत:विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश बिहार में दो स्तर पर चल रही है. एक तरफ जहां राष्ट्रीय जनता दल नीतीश कुमार के पक्ष में राजनीतिक दलों को गोलबंद करने में जुटी है तो वहीं दूसरी तरफ भाकपा माले भी भाजपा विरोधी खेमे को एकजुट करने की कोशिश में है . 20 साल बाद भाकपा माले ने बिहार की धरती पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया. बिहार के अंदर भाकपा माले की ताकत में भी वृद्धि हुई है. पार्टी के 12 विधायक पिछले विधानसभा चुनाव में जीते थे. चुनाव के नतीजों से उत्साहित पार्टी नेताओं ने बिहार की धरती पर बड़ी रैली करने का फैसला लिया.
सहयोगी दलों को भी ताकत का एहसास कराया:रैली में एक तरफ जहां देश भर से प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था, वहीं भाजपा विरोधी दलों को एकजुट करने की कोशिश भी की गई. भाकपा माले की भी कोशिश है कि भाजपा के विरोध में उनके पूर्व पर एक फ्रंट बने. पार्टी में सहयोगी दलों को भी ताकत का एहसास कराया गया. बड़ी रैली कर पार्टी की कोशिश यह भी है कि 2024 में जब सीटों का बंटवारा हो तो उनकी ताकत को कम करके नहीं आंका जाए. भाकपा माले लगातार इस बात को कहती रही है कि कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी लेकिन काफी कम सीटों पर जीत हासिल हुई थी. जबकि भाकपा माले को 17 सीटें मिली थी और 12 सीटों पर जीत हासिल हुई थी.