पटना:कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) बिहार ने चीन के समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स में छपे लेख पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. चीनी सरकार के मुख्यपत्र के नाम से भी जाने जाने वाले समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित लेख में कहा गया है कि चीनी उत्पादों के बहिष्कार करने की भारत की हैसियत नहीं है. कैट ने चीनी अखबार की चुनौती को स्वीकार करते हुए कहा कि देश के व्यापारी और लोग मिलकर इस बहिष्कार को सफल बनाएंगे.
इसके साथ ही कैट ने कहा कि चीनी अखबार ने हिंदुस्तान के स्वाभिमान को ललकारा है. जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और चीनी अखबार को इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. कैट ने यह भी कहा कि अब कैट का चीनी उत्पादों के बहिष्कार का राष्ट्रीय अभियान "भारतीय सामान-हमारा अभियान" जो 10 जून से पूरे देशभर में शुरू हो रहा है, इसे और अधिक तेजी से देश भर में चलाया जाएगा.
कमल नोपानी, चेयरमैन, कैट बिहार चीन को मिलेगा माकूल जबाव
कैट बिहार के चेयरमैन कमल नोपानी, महासचिव डॉ.रमेश गांधी और कोषाध्यक्ष अरुण कुमार गुप्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "लोकल को वोकल" के सशक्त आवाहन को जबरदस्त समर्थन मिल रहा है. इससे चीन के लोग बौखला गए हैं और अब उसे भारत का रिटेल बाजार अपने हाथ से निकालता नजर आ रहा है. इसीलिए चीनी अखबार ने इस तरह का बेमतलव वाली टिप्पणी की है. जिसका माकूल जवाब देश के व्यापारी और यहां के लोग मिल कर देंगे.
अशोक कुमार वर्मा, कैट अध्यक्ष बिहार सभी राज्यों के व्यापारी नेताओं के साथ होगी बैठक
कैट महानगर अध्यक्ष प्रिंस कुमार राजू और सचिव संजय बरनवाल ने कहा कि कैट अपने इस अभियान में भारतीय अर्थव्यवस्था के अन्य वर्ग, किसान, ट्रांसपोर्ट, लघु उद्योग, उद्योग, हॉकर्स और उपभोक्ता सहित अन्य स्वदेशी संगठनों के साथ बातचीत कर पूरे देश में अपने अभियान को चलाएगा. इसी बात को लेकर कैट ने बुधवार को देश के सभी राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं के साथ एक वीडियो कांफ्रेंस भी बुलाई है. जिसमें "भारतीय सामान-हमारा अभिमान" अभियान को देश भर में जल्द फैलाने पर रणनीति बनाई जाएगी.
'भारत के व्यापारियों की शक्ति को किया नजरअंदाज'
ई. कामर्स प्रभारी मुकेश कुमार नंदन ने कहा कि चीनी अखबार ने प्रकाशित लेख में यह भी कहा है कि चीनी सामान का इस्तेमाल भारतीय लोगों की आदत में शामिल हो गया है और इसका बहिष्कार करना कतई संभव नहीं है. ऐसा कह कर चीनी अखबार ने भारत के व्यापारियों की शक्ति को नजरअंदाज किया है. अब चीन सहित पूरी दुनिया देखेगी की किस तरह से भारत में चीनी उत्पादों का बहिष्कार होता है.