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बिहार में मेडिकल कचरा प्रबंधन नहीं होने पर भड़का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, 1800 सरकारी, निजी स्वास्थ्य केंद्रों को नोटिस

बिहार में मेडिकल कचरा प्रबंधन नहीं होने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सूबे के 1800 से अधिक सरकारी, निजी स्वास्थ्य केंद्रों को नोटिस जारी किया है. बता दें कि बायो- मेडिकल वेस्ट के अंतर्गत स्वास्थ्य संस्थानों (जैसे कि अस्पताल, प्रयोगशाला, प्रतिरक्षण कार्य, ब्लड बैंक आदि) में इंसानी और जानवर के शारीरिक सम्बन्धी बेकार वस्तु और इलाज के लिए उपयोग किए उपकरण आते हैं.

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Published : Nov 12, 2022, 11:06 PM IST

पटना: बिहार के अस्पतालों, नर्सिंग होम, क्लिनिक, पैथलैब में मेडिकल कचरा प्रबंधन (bio medical waste in bihar) की सही व्यवस्था नहीं होने पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने आंखे तरेरी हैं. बोर्ड ने सहित राज्य के छह जिलों के ऐसे 1800 से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों को नोटिस थमाया है, जिसमे कचरा प्रबंधन की उचित व्यवस्था नहीं है. बोर्ड ने यह भी चेतावनी दी है कि 15 दिनों में स्थिति नहीं सुधरी तो कार्रवाई की जाएगी.

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बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डॉ ए के घोष ने बताया कि राज्य के छह जिलों के स्वास्थ्य केंद्रों को नोटिस भेजा जा रहा है. इनको 15 दिनों का समय दिया जा रहा है. उन्हे कहा गया है कि मेडिकल कचरा का सही ढंग से निस्तारण कर लें, नहीं तो स्वास्थ्य केंद्रों को बंद कर दिया जाएगा.

उन्होंने बताया कि बोर्ड बिजली वितरण कंपनियों से ऐसे स्वास्थ्य इकाइयों को ऐसी परिस्थितियों में बिजली आपूर्ति बंद करने का भी अनुरोध करेगा. घोष ने कहा कि ऐसे केंद्रों को बार बार इसके लिए निर्देश दिए गए लेकिन अस्पताल नहीं सुधर रहे हैं, ऐसी स्थिति में ऐसा निर्णय लिया गया है. बोर्ड को ऐसी शिकायतें भी मिली हैं कि सामान्य कूड़े में भी मेडिकल कचरा डाल दिया जा रहा है.

बेहद खतरनाक है बायो मेडिकल कचरा : दरअसल, बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नियम, 2016 कहता है कि अस्पतालों, नर्सिंग होम, पैथोलॉजिकल लैब, क्लीनिक, डिस्पेंसरी, ब्लड बैंक आदि को नियम 10 के तहत बोर्ड द्वारा अधिकार पत्र (ऑथराइजेशन) और सहमति (कंसेंट) लेना आवश्यक है. 2016 का यह कानून 1998 के कानून का संशोधन है.

ऐसे में बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, राज्य में संचालित 1800 से अधिक स्वास्थ्य केंद्रों डिफॉलटर है. इसका अर्थ यह हुआ कि इनके पास प्रदूषण बोर्ड का अधिकार पत्र और सहमति नहीं है. इन्हीं अस्पतालों से बिहार में रोजाना हजारों किलो मेडिकल कचरा निकलता है, जिसका उचित तरीके से निपटारा न होना बिहार के लिए एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या पैदा कर सकता है.

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