बिहार नियोजित शिक्षकों के आरोप. पटना:नई शिक्षक नियमावली के तहत बिहार में 1.70 लाख शिक्षकों की बहाली को लेकर आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू हुए 2 सप्ताह हो गए हैं, लेकिन एक भी नियोजित शिक्षकों ने अब तक फॉर्म नहीं भरा है. फॉर्म भरने की प्रक्रिया शुरू होने के 2 सप्ताह बीतने पर भी आवेदन की संख्या अभी 50000 से नीचे ही है. नियोजित शिक्षकों का कहना है कि वह किसी हाल में फॉर्म नहीं भरेंगे. सरकार लोकतंत्र बचाने के नाम पर विपक्षी दलों को एकजुट करके राजनीति कर रही है और खुद लोकतांत्रिक आचरण प्रस्तुत नहीं कर रही.
इसे भी पढ़ेंः Bihar Shikshak Niyojan : अध्यापक बहाली परीक्षा में TET शिक्षक नही लेंगे हिस्सा, संघ ने किया बहिष्कार
"बिहार में जनतांत्रिक सरकार है और यह सरकार देश भर में लोकतंत्र बचाने के नाम पर विपक्षी दलों को एकजुट करके राजनीति कर रही है लेकिन सरकार को समझना होगा कि शिक्षक भी इसी जनतंत्र का हिस्सा है. पूरे प्रदेश के शिक्षक जब इस नई शिक्षक नियमावली को लेकर आक्रोशित हैं तो सरकार को शिक्षकों के संगठनों से, उनके नेतृत्व से बात करनी चाहिए"- प्रवीण कुमार, नियोजित शिक्षक
स्कूल की जगह सड़क पर हैं शिक्षकः प्रवीण कुमार ने कहा कि लोकतंत्र का तकाजा है कि यदि आपके प्रदेश में कोई व्यक्ति आपके नीतिगत मामलों पर चिंतित है तो बातचीत करके समस्या का समाधान करना चाहिए. जिस शिक्षक को प्रदेश के भविष्य के निर्माण के लिए विद्या के मंदिर में होना चाहिए वह सड़क पर है और सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. सरकार उनकी सुन नहीं रही है ना ही बातचीत की कोई पहल कर रही है.
सरकार अपनी जिद पर अड़ी हैः नियोजित शिक्षक गौतम महात्मा ने बताया कि सरकार यदि प्रदेश के शिक्षकों को लेकर कोई नियम बना रही है कोई नियमावली ला रही है तो शिक्षकों के संगठनों से बात करनी चाहिए थी. लेकिन बिना किसी शिक्षक संगठनों से बात किए, बिना किसी शिक्षकों के विचार जाने नई नियमावली ला दी गई और जब शिक्षक इसका विरोध कर रहे हैं तब भी सरकार अपनी जिद पर अड़ी है. उन्होंने कहा कि वर्तमान नियमावली के तहत बीपीएससी द्वारा फॉर्म भरे जाने का नया नियम लाया गया है उसमें किसी नियोजित शिक्षकों ने फॉर्म नहीं भरा है.
शिक्षकों से बातचीत नहीं करना चाहती: नियोजित शिक्षक मनोज कुमार ने बताया कि शिक्षकों की मांगे जायज है और उनकी मांगों के समर्थन में प्रदेश में 100 से अधिक विधायक और विधान पार्षदों ने समर्थन पत्र विधानसभा में दिया है. हजारों मुखिया सरपंच और पंचायत प्रतिनिधियों ने शिक्षकों के पक्ष में अपनी बातों को रखा है. शिक्षक बार-बार सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनके प्रतिनिधियों के साथ मिलकर सरकार बातचीत करें और नियमावली के जिन बिंदुओं पर शिक्षकों की आपत्ति है उस पर संज्ञान लिया जाए. लेकिन सरकार शिक्षकों से बातचीत ही नहीं करना चाहती है.
सरकार की कथनी और करनी में फर्क हैः नियोजित शिक्षक डॉ मृत्युंजय कुमार ने कहा कि 18-19 साल की नौकरी के बाद एक बार फिर से परीक्षा दें और 2 साल के प्रोबेशन पीरियड में जाएं यह कहीं से सही नहीं है. नई शिक्षक नियमावली को लेकर प्रदेश के सभी शिक्षक संगठन आक्रोशित हैं और विरोध कर रहे हैं. सरकार बातचीत की कोई पहल नहीं कर रही है. प्रदेश के सरकार की कथनी और करनी में बहुत फर्क है. केंद्र में सत्ता में नहीं है तो सत्ता पाने के लिए लोकतंत्र बचाने की दुहाई दे रहे हैं लेकिन बिहार में सत्ता में है तो अलोकतांत्रिक रवैया अपनाकर अपनी मनमानी कर रहे हैं.