पटना:बिहार में ब्लैक फंगसके मामले लगातर बढ़ रहे है. शुक्रवार को प्रदेश भर में ब्लैक फंगस के 39 नए मामले सामने आए, जिनमें 8 मरीजों को इलाज के लिए भर्ती करना पड़ा. कुल 39 मामलों में से 32 पटना के तीन अस्पतालों तथा सात छपरा शहर के एक निजी अस्पताल में पहुंचे. वहीं, अब कुल मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 174 पहुंच चुका है.
7 मरीज एम्स में भर्ती
शुक्रवार को पटना एम्स की ओपीडी में 30 मरीज पहुंचे थे. जिनमें से 23 मरीजों को दवा देकर घर भेज दिया गया, जबकि 7 मरीजों की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया. एक मरीज को आईजीआईएमएस में भी भर्ती किया गया. वहीं, निजी अस्पताल पारस में एक मरीज ओपीडी में आया था, जिसे दवा देकर छोड़ दिया गया.
बता दें कि वर्तमान में पटना एम्स में कुल 42 मरीज भर्ती हैं, जबकि शुक्रवार को तीन मरीज ठीक होकर घर लौट चुके हैं. वहीं, आईजीआईएमएस में कुल 39 मरीजों का इलाज हुआ, जिनमें 12 डिस्चार्ज कर दिए गए हैं.
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क्या है ब्लैक फंगस?
म्यूकरमाइकोसिस (एमएम) को ब्लैक फंगस के नाम से जानते है. म्यूकरमाइकोसिस एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. यह म्यूकर फफूंद के कारण होता है, जो आमतौर पर मिट्टी पौधों में खाद सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. यह फंगस साइनस दिमाग और फेफड़ों को प्रभावित करती है, और डायबिटीज के मरीजों या बेहद कमजोर यूनिटी रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों (कैंसर या एचआईवी एड्स ग्रसित) के लिए यह जानलेवा भी हो सकती है. अभी के दौर में कोरोना के उबर चुके मरीजों पर इसका असर देखा जा रहा है.
क्या है लक्षण?
यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.
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खतरनाक है ब्लैक फंगस!
इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो तो मरीज की मौत हो जाती है.
म्यूकरमाइकोसिस से ग्रसित मरीजों में चेहरे में सामान्य तौर पर ये लक्षण देखे जा रहे हैं.
- तेज सिर दर्द
- नाक और साइनस ब्लॉक होने की समस्या
- तालू के पास काले रंग के घाव
- आंखों में दर्द और दृष्टि जाने का खतरा