नवादा: जिले की सकरी नदी पर बन रहे पुल का निर्माण कार्य कछुआ चाल से चल रहा है. 5 महींने हो चुके हैं लेकिन अब तक पुल के एक भी पिलर का निर्माण नहीं हो पाया है. कछुआ चाल से चल रहे पुल निर्माण के कारण यहां लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.
जिला मुख्यालय से 8 किमी दूर गोसाई बिगहा से कुंज गाँव की ओर जाने वाले लोग मौत को दावत देकर नदी पार कर रहे हैं. गर्मी के मौसम में जो लोग बालू पर चलकर निकल जाते थे. अब वह भी भरे पानी से गुजरकर अपने रास्ते को जाने के लिए मजबूर हैं. यहां के लोग हर रोज मौत से सामना कर रहे हैं लेकिन संबधित अधिकारी आंख मूंदकर बैठे हुए हैं. कछुआ चाल पर चल रहा पुल का निर्माण कार्य, समय पर काम पूरा होने को लेकर सवालिया निशान खड़े करता है.
डायवर्जन भी नहीं
आम तौर पर पुल निर्माण करने से पहले लोगों को परेशानी न हो. इस बात का ध्यान रखते हुए साइड से डायवर्जन बना दिया जाता है, लेकिन यहां ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है. लोग भगवान भरोसे सफर तय कर रहे हैं.
36 करोड़ की लागत से बन रहा पुल
इस पुल का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत किया जा रहा है. 36 करोड़ की लागत से बन रहे, 634 मीटर लम्बे इस पुल का निर्माण कार्य सितम्बर 2020 तक पूरा होना है. निर्माण कार्य के बाद पांच वर्षीय अनुरक्षण कार्य का प्रारंभ 8 सितंबर 2020 से शुरू होगा. जिसे 7 सितंबर 2020 तक समाप्त करना है. लेकिन कार्य की लेटलतीफी के कारण तय समयसीमा में कार्य पूरा करना मुश्किल लग रहा है.
कछुआ चाल से हो रहा पुल का निर्माण कैसे पढ़ेंगे बच्चे.?
वहीं, स्थानिय निवासी शशिकला का कहना है कि नदी पार करने में बहुत समस्या होती है. बच्चो का स्कूल और कोचिंग छूट जाती है. बच्चो को पढ़ने में काफी दिक्कते आ रही हैं. कोई भी अधिकारी देखने सुनने को तैयार नहीं है.
कामकाज हुआ ठप
ऑटो चालक गौतम का कहना है कि पानी ज्यादा होने के कारण काफी दिक्कत हो रही है. बारिश होने के कारण कामकाज सब ठप हो गया है. जब से बारिश थोड़ा कम हुई है, तब से दो-चार सवारी मिल जाती है. हम लोग रोज के खाने कमाने वाले हैं. जितनी जल्द पुल बन जाएगा, हमारी दिक्कत खत्म हो जाएगी.
क्या कहते हैं पदाधिकारी
ग्रामीण कार्य विभाग रजौली कार्य प्रमंडल के अभियंता सत्येंद्र सिंह का कहना है कि, वैकल्पिक व्यवस्था पूर्व से बनी हुई है. पानी आता है, तो समस्या होती है. जब तक पुल नहीं बन जाता, तब तक कोई बड़ी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो सकती.