नवादा:महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने के लिए जय प्रकाश नारायण और विनोबा भावे ने जिले में जिस खादी ग्रामोद्योग की नींव रखी थी, आज खंडहर में तब्दील हो गया है. हजारों हाथों को रोजगार देने वाले वारसलीगंज के नवाबगढ़ का खादी ग्रामोद्योग आज बदहाल है. कुटीर और ग्रामोद्योग के माध्यम से कभी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सेहतमंद बनाने के लिए कदम बढ़ाये गये थे, आज वही खादी ग्रामोद्योग सरकार की अनदेखी के कारण विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गया है. फिर भी सालों पहले यहां काम कर चुके लोग खादी ग्रामोद्योग के दिन बहुरने के इंतजार में हैं.
बात 1961 की है जब विनोबा भावे ने वारसलीगंज के नवाबगढ़ में खादी ग्रामोद्योग की स्थापना की थी. इसका उद्देश्य स्वरोजगार को बढ़ावा देना और लोगों को हुनरमंद बनाकर कर रोजगार का सृजन करना था. इसके शुरू होने पर काफी लोग जुड़े भी. खासकर महिलाएं इससे बड़ी संख्या में जुड़ीं. इस उद्योग से जुड़े कतिन व बुनकरों को रोजगार देने वाली संस्था को सरकार से सहायता नहीं मिलने के कारण ठप पड़ता चला गया. इससे जुड़े लोग बेरोजगार हो गये. आर्थिक तंगी के कारण यहां काम करनेवाले कर्मी भुखमरी के शिकार होते चले गए.