गोपालगंज:सुपोषण के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने की दिशा में गोपालगंज जिला पूरे राज्य में चौथे स्थान पर है. कुपोषण जैसी गंभीर समस्या से जिला को मुक्त करने के लिए 16 मार्च से 31 मार्च तक पोषण पखवाड़ा चल रहा है. इसके तहत पोषण अभियान जन आंदोलन डेशबोर्ड पर अपलोड हुये 30 मार्च के आंकड़ों/प्रविष्टियों के अनुसार कुपोषण को केवल एक कार्यक्रम तक सीमित नहीं रखकर, बल्कि उसमें अधिकतम सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित कराने में गोपालगंज कई जिलों से काफी आगे है.
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दअरसल, राष्ट्रीय पोषण मिशन के जिला समन्वयक बृजकिशोर प्रसाद ने बताया डैशबोर्ड पर अपलोड हुए आंकड़ों/प्रविष्टियों के अनुसार पोषण पखवाड़े के दौरान अधिक से अधिक सामुदायिक भागीदारी को सुनिश्चित कराने का प्रयास किया गया है. 30 मार्च तक कुल 96461 गतिविधियों का आयोजन हो चुका है, जिसमें जिले के लोगों की सक्रिय भागीदारी रही और उन्होंने पोषण के महत्व और आवश्यकता के बारे में जाना. इनमें क्रमशः 9,26,692 पुरुष,11,76,183 महिला, 4,88,338 बालक और 4,83,623 बालिकाओं की सहभागिता के साथ जिला चौथे स्थान पर है. इसके आगे भी विभाग द्वारा दिये गए लक्ष्य को शत प्रतिशत प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है.
सुपोषण के लिए आवश्यक है व्यवहार में परिवर्तन
जिला पदाधिकारी डॉ नवल किशोर चौधरी ने कहा पोषण की आवश्यकता हर उम्र में है. मां के गर्भ में आते ही शुरू हो जाती है और जीवन के प्रथम दिन, किशोरावस्था, शादी की उम्र जीवन के अंतिम क्षणों तक होती है. लेकिन गर्भवतियों, महिलाओं, किशोरियों और शिशुओं में पोषण या पोषाहार को लेकर अभी भी व्यवहार में परिवर्तन की आवश्यकता है. ताकि हमारी अगली पीढ़ी सुपोषित हो. इसके लिए बच्चों में भोजन से पहले हाथ धोने के अभ्यास पर भी सतर्क रहने की आवश्यकता है.
'उपलब्ध संसाधनों का करें प्रयोग'
डीपीओ शम्स जावेद अंसारी ने बताया मौसमी फल और सब्जियां पोषण और शरीर के लिए आवश्यक तत्वों से भरपूर होती हैं. ये आसानी से उपलब्ध और सभी आयुवर्ग की पहुंच में भी होती हैं. इसलिए महंगे फलों और अन्य भोज्य पदार्थों की अपेक्षा अपने आस-पास उपलब्ध संसाधनों को आहार में शामिल करें. दलिया, गुड, चना हरी साग-सब्जियां, दूध, अंकुरित साबुत आनाज ये सब ज्यादा महंगे भी नहीं होते हैं, और इनमें सम्पूर्ण पोषण भी मिलता है.