गयाः बिहार की धार्मिक नगरी गया में पितृपक्ष (Pitru Paksha 2021) के दौरान लाखों की संख्या में पिंडदानी विष्णुपद सहित अन्य पिंडवेदी पर पिंडदान (Pinddan In Gaya) करते हैं. विष्णुपद पर अर्पित पिंड पहले कचरे में फेंक दिया जाता था लेकिन अब उसी पिंड को गाय खा रही हैं. गौपालकों का कहना है कि पिंड में गुड़, जौ, तिल, चावल और ड्राईफ्रूट्स रहने के कारण गाय इसे खूब चाव से खाती हैं. इससे दूध में भी बढ़ोतरी होती है.
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बता दें कि गया जी में ऐसे तो 45 पिंडवेदी हैं. लेकिन सबसे ज्यादा पिंडदान विष्णुपद में होता है. यहां हर दिन हजारों लोग भगवान विष्णु के पद चिन्ह पर पिंड अर्पित करते हैं. विष्णुचरण पर अर्पित पिंड को सफाईकर्मी मंदिर के बाहर गौपालकों को बेच देते हैं.
'पितृपक्ष शुरू होने के साथ पिंड मन्दिर से ज्यादा संख्या में आता है. मंदिर के गर्भगृह और परिसर से पिंड को इकट्ठा कर सफाईकर्मी हमलोग को बाहर लाकर देते हैं. कुछ साल पहले तक पिंड को कचरे में फेंक दिया जाता था. पांच साल पूर्व एक गौपालक ने विष्णुचरण पर अर्पित पिंड को गाय को खिलाना शुरू किया. इससे फायदा होने लगा, तो इस क्षेत्र के अधिकांश गौपालक पिंड ले जाने लगे. इससे गाय को काफी फायदा होता है. गाय दूध भी अच्छा देती है.'-कमल यादव, गौ पालक
गौ पालकों ने कहा कि कचरा में पड़ा पिंड भीगा और सड़ा हुआ रहता था. लेकिन अब उसे खरीद लिए जाने से कचरा भी कम हो रहा है. लोग सफाईकर्मी को 150 रुपए देकर एक टोकरी पिंड ले लेते हैं. पिछले पांच सालों से दर्जनों गौ पालक सुबह से लेकर शाम तक पिंड की खरीदारी करते हैं. पिंड को गाय को खिलाने में काफा फायदा होता है. गाय बहुत ही स्वाद लेकर खाती है. दूध में भी बढ़ोतरी होती है. खल्ली वगैरह का पैसा भी बच जाता है.