बक्सरःकेंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र के सरकारी अस्पताल भले ही वेंटिलेटर पर अपना अंतिम सांस गिन रहा हो, लेकिन इस आपदा में भी यहां के 90 प्रतिशत सरकारी स्वास्थ्य कर्मीयों ने अवसर ढूंढ ही लिया है. स्वास्थ्य कर्मी वेतन तो सरकार से लेते हैं लेकिन काम निजी नर्सिंग होम को फायदा पहुंचाने के लिए कर रहे हैं.
अवैध निजी नर्सिंग होम का बिछा है जाल
जिले में 3 हजार से अधिक अवैध निजी नर्सिंग होम चल रहे हैं, जहां 90 प्रतिशत सरकारी स्वास्थ्य कर्मी काम कर रहे हैं. निजी नर्सिंग होम में मरीजों से मोटी रकम वसूली जाती है. स्वास्थ्य कर्मियों को भी महीने में अच्छी कमाई हो जाती है. इससे सरकारी अस्पताल पर उनका कोई ध्यान नहीं होता है.
300 मरीज रोज पहुंचते हैं बक्सरसदर अस्पताल
बक्सर के सदर अस्पताल में इलाज कराने के लिए कम से कम 300 मरीज प्रतिदिन आते हैं. यहां गेट के सामने, 10 मीटर से लेकर 500 मीटर तक के अंदर 4 दर्जन से अधिक अवैध निजी नर्सिंग होम और जांच घर चलाए जा रहे हैं. इससे सरकारी स्वास्थ्य कर्मियों की मिलीभगत से पहले से वहां मौजूद लोग मरीजों को नर्सिंग होम और जांच घर का रास्ता दिखा देते हैं.
सिविल सर्जन से की थी लिखित शिकायत
सरकारी अस्पताल के अधिकांश स्वास्थ्य कर्मियों ने अपना निजी नर्सिंग होम और जांच घर खोल लिया है. वे सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों को अपने निजी नर्सिंग होम में भेज देते हैं. कुछ दिनों पहले सदर अस्पताल के एक बड़े डॉक्टर ने एक गरीब मरीज को निजी नर्सिंग होम में भेज दिया था. मरीज ने इसकी लिखित शिकायत सिविल सर्जन से की थी. इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.
करोड़ों रुपये की कमाई कर रहे अधिकारी
जिले में प्रशासनिक और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की जानकारी में 3 हजार से अधिक अवैध निजी नर्सिंग होम और जांच घर चल रहे हैं. यहां से विभागीय अधिकारी और कर्मचारी साल में करोड़ों रुपये की कमाई कर रहे हैं. इस बारे में स्वास्थ्य विभाग के कर्मी भी कुछ भी कहने से बचते नजर आते हैं.