बक्सरः बिहार में आदर्श आचार संहिता की घोषणा हो गई है. भारत सरकार की ओर से लोकसभा एवं राज्यसभा से कृषि विधेयक पास होने के बाद देश के कई राज्यों में किसानों ने इस विधेयक के विरोध में मोर्चा खोल दिया है. वहीं बिहार विधानसभा चुनाव में नाराज किसानों को भुनाने के लिए विपक्षी पार्टियां किसानों की आवाज को बुलंद करने के लिए उनके कदम से कदम मिलाकर चल रही है. वहीं सरकार के नुमाइंदे इस विधेयक को सरकार के हित में बताकर किसानों के वोट को साधने में लगे हुए हैं और आक्रोशित किसान लगतार अपनी मांगों को लेकर सड़क पर है.
बक्सरः कृषि विधेयक के खिलाफ सड़क पर उतरे किसान समेत राजद नेता
लोकसभा एवं राज्यसभा से कृषि विधेयक पास होने के बाद, देश के कई राज्यों में भारत सरकार के खिलाफ किसानों ने मोर्चा खोल दिया है. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नाराज किसानों के वोट को भुनाने में विपक्षी पार्टियां जुटी है.
क्या कहते हैं किसान
आंदोलित किसानों ने बताया कि आठवीं पंचवर्षीय योजना के समय से ही, कृषि को उद्योग का दर्जा देने के लिए, किसान लगातार मांग कर रहे हैं. उसके बाद भी केंद्र की सरकार इस मांग को दबाकर रखी हुई है. दिन प्रतिदिन किसानों की हालात बद से बदतर होती जा रही है. उस समस्या पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है. पूंजीपतियों एवं कारपोरेट घराने के लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार ने इस विधेयक को किसानों के माथे पर थोपना चाहती है.
सड़क पर उतरे किसान एवं राजद के नेता
किसानों की आवाज को बुलंद करने सड़क पर उतरे राजद के पूर्व जिला अध्यक्ष भरत यादव ने कहा कि भारत सरकार गरीब किसानों के बदले पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने में लगी हुई है. जिसे राजद के नेता कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे.
गौरतलब है कि कृषि विधयेक को लेकर जिले के किसान भारत सरकार पर कृषि विधयेक वापस लेने के लिए दबाव बनाने के साथ ही, कृषि को उधोग की दर्जा देने की मांग कर रहे है.