औरंगाबाद:बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नवीनगर विधानसभा क्षेत्र के नवीनगर में अनुग्रह नारायण स्टेडियम में चुनावी सभा को संबोधित किया. यह चुनावी सभा जनता दल यूनाइटेड के नवीनगर प्रत्याशी वीरेंद्र कुमार सिंह और कुटुम्बा सुरक्षित सीट से हम प्रत्याशी श्रवण भुंइया के पक्ष में आयोजित की गई थी. हालांकि इस रैली में कोरोना को लेकर बनाए गए नियमों को जमकर धज्जिया उड़ाई गई.
'पति-पत्नी की सरकार में नहीं हुआ विकास'
कड़ी धूप में हजारों की संख्या में लोग मुख्यमंत्री को सुनने पहुंचे थे. जहां सभा के संबोधन के दौरान नीतीश कुमार ने अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि जब उनके हाथ में बिहार मिला था. तो बिहार में कहीं कोई विकास का काम नहीं हुआ था. जातीय नरसंहार का दौर चल रहा था. सड़क, बिजली और पानी की व्यवस्था बिल्कुल नहीं थी. बिहार में पति-पत्नी की सरकार ने विकास का कोई काम नहीं किया था. वह सिर्फ अपने विकास में लगे थे और अपने परिवार के विकास में लगे थे. मेरा तो परिवार पूरा बिहार है और पूरा बिहार एक है और उस परिवार के हम सेवक हैं.
उन्होंने कहा कि वह जब से वे बिहार की सत्ता में आये हैं. तब से लगातार राज्य तरक्की के नए कीर्तिमान गढ़ रहा है. बिहार में 2005 में विकास दर जहां 3 प्रतिशत था. तो अब एनडीए शासनकाल में बिहार का विकास दर भारत में सभी राज्यों से ज्यादा 12.5 प्रतिशत सालाना हो गया . इसके अलावा बिहार के लोगों की आमदनी भी हर वर्ष 10 प्रतिशत की दर से बढ़ती गई. आज बिहार में लोग खुशहाल हैं, लोगों के पास आमदनी और रोजगार है.
'महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर'
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दावा किया है कि उन्होंने हर जिला मुख्यालय पर आईटीआई और पॉलिटेक्निक संस्थानों को बनाने का प्रयास किया है. जहां नहीं बने हैं वहां अगले कार्यकाल में बनाए जाएंगे. उन्होंने बताया कि टीचर ट्रेनिंग कॉलेज में नई बिल्डिंग और हॉस्टल का निर्माण कराया है. नर्सिंग स्कूलों के लिए बिल्डिंग और हर जिला मुख्यालय पर बनाये गए हैं. नर्सिंग स्कूल स्थापित करने के साथ साथ लड़कियों को रहने के लिए हॉस्टल की भी व्यवस्था की है.
सीएम नीतीश ने कहा कि एक छात्राओं को हमने साइकिल दिया, जिससे छात्राएं ज्यादा संख्या में पढ़ाई को निकलने लगी. वहीं, महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वयं सहायता समूह और जीविका का गठन किया, जिसके तहत 10 लाख स्वयं सहायता समूह का निर्माण करवाया है. इसके अलावा बिहार पुलिस में महिलाओं की भर्ती के लिए 35 प्रतिशत का आरक्षण दिया है. वहीं, पंचायत चुनावों में भी महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण दिया, जिससे जो महिलाएं किसी दूसरे पर आश्रित रहती थी. आज वह अपना निर्णय खुद ले रहे हैं और लोग उनसे मांगने जा रहे हैं.